जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) ने शनिवार को केंद्र सरकार से देश में ज्ञानवापी (Gyanvapi Masjid) और अन्य मस्जिदों की सुरक्षा के लिए पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को बरकरार रखने को कहा।
यहां अपने मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए जेआईएच के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने देश में मुस्लिम पूजा स्थलों को निशाना बनाने से संबंधित हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी और अन्य मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांगों से संबंधित याचिकाओं पर अदालतों को विचार नहीं करना चाहिए, जबकि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 धार्मिक स्थलों के चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है।
उन्होंने केंद्र सरकार से न्याय और शांति के हित में 1991 के कानून को बरकरार रखने को कहा।
जेआईएच के उपाध्यक्ष ने कहा कि रामनवमी के अवसर पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जानबूझकर विभिन्न जुलूस निकाले गए और मस्जिदों की मीनारों पर भगवा झंडा फहराने का प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा, यह सब पुलिस और स्थानीय प्रशासन की तरफ से देखने के साथ किया गया था।
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों और बाहरी लोगों की लक्षित हत्या की कड़ी निंदा करते हुए जेआईएच उपाध्यक्ष ने असली दोषियों और साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार करने के लिए गहन जांच की मांग की।
सामुदायिक मामलों और जनसंपर्क के जेआईएच सचिव मोहम्मद अहमद ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से तत्काल एक बयान जारी करने और पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बनाए रखने की अपील की, जिसमें कहा गया है कि मस्जिद, मंदिर, चर्च या सार्वजनिक पूजा का कोई भी स्थान अस्तित्व में है तो उसका धार्मिक चरित्र 15 अगस्त, 1947 को जैसा था, वैसा ही बनाए रखा जाएगा।
--आईएएनएस
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