कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को 18 जनवरी की रात गुजरात के अहमदाबाद जिले में वीरमगाम तालुका से गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी यह गिरफ्तारी 2015 के राजद्रोह केस में ट्रायल कोर्ट के सामने पेश ना होने के लिए हुई. गिरफ्तारी के बाद उन्हें अहमदाबाद में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. इसके बाद पटेल को 24 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
इस मामले पर डीसीपी राजदीप सिंह (साइबर क्राइम) ने बताया कि कोर्ट द्वारा हार्दिक के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी किए जाने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई.
बता दें कि 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद में पटेल समुदाय की रैली के दौरान भड़की हिंसा के बाद लोकल क्राइम ब्रांच ने हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह का केस फाइल किया था, इस मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी.
इसके बाद पटेल को जुलाई 2016 में जमानत मिल गई थी. कोर्ट ने इस मामले में पटेल और बाकी आरोपियों के खिलाफ नवंबर 2018 में आरोप तय किए थे.
18 जनवरी को एडिशनल सेशन्स जज बीजी गणात्रा ने पटेल के वकील द्वारा दाखिल छूट देने की याचिका को चुनौती देने वाली सरकार की याचिका स्वीकार करने के बाद पटेल के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया. कोर्ट ने माना कि पटेल ने इस मामले में ट्रायल को टालने के इरादे से लगातार मौजूदगी दर्ज ना कराके जमानत की शर्तों की उपेक्षा की. बता दें कि हार्दिक पटेल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे.
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