हरियाणा उन राज्यों में शुमार है जहां अवैध खनन (Haryana Illegal Mining) का खेल कई बार बड़े ही जानलेवा तरीके से खेला जाता है. जब तक प्रशासन अवैध खनन पर लगाम नहीं लगाए, तब तक खनन माफिया खुश. लेकिन अगर उन पर थोड़ा सा भी शिकंजा कसने की कोशिश करेंगे तो वो किसी की जान लेने से गुरेज भी नहीं करते. ऐसे कई उदाहण हैं. हरियाणा में इन दिनों अवैध खनन को लेकर गठबंधन सरकार की नींद हराम हो गई है. खनन मंत्री से लेकर गृहमंत्री और सीएम मनोहर लाल तक अवैध खनन को लेकर बेहद ही एक्टिव नजर आ रहे हैं.
"अवैध खनन का काम तेजी से चल रहा है"- क्या कह रहें स्थानीय निवासी?
हरियाणा में यमुनानगर, फरीदाबाद, नूंह, पलवल, गुरुग्राम, भिवानी-महेंद्रगढ़, करनाल और कुछ हद तक पंचकूला में खनन का कारोबार होता है. जिससे सरकार को अच्छा खासा रेवेन्यू भी आता है. लेकिन सच ये भी है कि जिस तरीके से खनन का काम आज से पिछली सरकारों में होता था वो काफी हद तक बदल गया है. माइनिंग पर सरकार के सख्त नियमों से खनन माफिया खफा तो हैं लेकिन उनकी मजबूरी है कि वो ये काम पहले के मुकाबले कम मुनाफे में भी कर रहे हैं. आरोप है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी खनन का काला कारोबार रुकने की बजाय बढ़ता जा रहा है. रात के अंधेरे में खनन माफिया बेहद सक्रिय रहते हैं. अपने काले कारनामों को दिन ढलते ही बेहद ही शातिराना तरीके से अंजाम देने लग जाते हैं.
क्विंट हिंदी से बातचीत में नूंह जिले के स्थानीय निवासी सादिक खान बताते हैं कि जिले में अवैध खनन का काम तेजी से चल रहा है. अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर खनन माफिया अपना काम कर रहे हैं. दूसरा ये कि खनन माफिया ओवरलोड वाहनों को सड़क पर दौड़ाते हैं जिससे हादसे का खतरा बढ़ता है. इसके बावजूद ये अवैध काम बदस्तूर जारी है.
यमुनानगर जिले के पवन राणा कहते हैं कि खनन से लोगों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन क्रशर जोन की वजह से हमारी जिंदगी पर उसका नकारात्मक असर पड़ रहा है. पहला तो ये कि रात के वक्त क्रशर जोन से जो आवाजें आती हैं उससे काफी परेशानी होती है. दूसरा है कि ओवलोड वाहनों की वजह से हादसे बढ़ रहे हैं.
करनाल जिले के रहने वाले दिनेश कुमार बताते हैं खनन की वजह से सड़कों की हालत खराब हो गई है.. खनन से जुड़े लोग सरकार को रेवेन्यू तो दे रहे हैं लेकिन उसकी आड़ में जो अवैध खनन कर रहे है उस पर रोक नहीं लग रही है, जो प्रशासन की बड़ी नाकामी है.
प्रशासन क्या कह रहा?
गुरुग्राम जिले के माइनिंग अफसर अनिल कुमार का कहना है कि हम अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए पहले भी कार्रवाई करते रहे हैं और आगे भी करेंगे. लेकिन जैसे ही हमें अवैध माइनिंग की शिकायत मिलेगी, तो हम उस पर ज्यादा फोकस करेंगे.
माइनिंग अफसर अनिल कुमार आगे बताते हैं कि ठेकेदार ज्यादा पैसा कमाने और मशीनरी की किस्त देने के चक्कर में वो सही और गलत का फर्क भूल जाते हैं और कई बार गलत काम कर जाते हैं.
फरीदाबाद जिले के डीसीपी नीतीश अग्रवाल क्विंट हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि सूबे के गृह मंत्री अनिल विज के आदेश के बाद हम लगातार माइनिंग अफसरों के साथ बैठकें कर रहे हैं. हमने उन्हें आश्वस्त किया है कि जहां कहीं भी फोर्स की जरुरत है तो हमें बताएं. इसके अलावा जोन के डीसीपी से भी लगातार संपर्क साधा जा रहा है. अगर कोई शिकायत आएगी तो हम जल्द ही एफआईआर भी करेंगे.
"रात के वक्त हमारे माइनिंग जोन में नाके लगते हैं. फिलहाल ऐसी कोई भी एक्टिविटी जिले में नहीं हो रही है.डीसीपी नीतीश अग्रवाल, फरीदाबाद जिला
नीतीश अग्रवाल ने आगे बताया कि नूंह के तावडू और करनाल जिले में पुलिस अधिकारियों को जो निशाना बनाया गया है, उसके बाद हम और ज्यादा जागरुक हुए हैं. अवैध माइनिंग को लेकर हमारी कार्रवाई अब और तेज हो गई है.
सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही लेकिन पुलिस पर हमलों को नकारा नहीं जा सकता- खनन मंत्री
क्विंट हिंदी ने जब हरियाणा के खनन मंत्री मूलचंद शर्मा से प्रदेश में खनन और उससे जुड़ी परेशानियों को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया कि अवैध खनन को लेकर जितना शिकंजा खनन माफियाओं पर कसना चाहिए उससे ज्यादा कड़ी कार्रवाई हमारी सरकार कर रही है.
"हम अवैध खनन कारोबारियों पर जुर्माना लगाते हैं और उन पर केस दर्ज करते हैं. हमारी सख्ती का प्रमाण ये है कि हम हर साल 210 करोड़ रुपए अवैध खनन माफियाओं से जुर्माने के तौर पर वसूलते हैं. भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में सिर्फ 1246 रुपए का ही रेवन्यू आया था जबकि बीजेपी सरकार में अबतक 4767 करोड़ का रेवन्यू आया है.हरियाणा के खनन मंत्री मूलचंद शर्मा
खनन मंत्री मूलचंद शर्मा ने यह भी बताया कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी बेहद चुस्त हैं. लेकिन सच्चाई यह भी है कि हरियाणा में बीते कई सालों से अवैध खनन रोकने को लेकर जो-जो हमले प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस पर हुए हैं, उन्हें भी नकारा नहीं जा सकता.
हरियाणा में खनन माफियाओं का हौसला बुलंद? हमले की कुछ घटनाएं
19 जुलाई 2022 को नूंह जिले के तावडू में खनन माफियाओं ने डीएसपी सुरेंद्र सिंह की डंपर से कुचल कर हत्या की, पुलिस ने ट्रक चालक और क्लीनर को गिरफ्तार किया था.
20 अगस्त 2022 को गुरुग्राम के सोहना में खनन माफियाओं के गुंडों ने खनन विभाग के एक दल पर कथित तौर पर हमला कर दिया, पुलिस जब ट्रैक्टर ट्राली चालक से पूछताछ कर रही थी तभी तीन अन्य लोग आए गए, आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने किया केस दर्ज.
20 नवंबर 2022 को यमुनानगर के जठलाना में किसानों पर माइनिंग के लोगों ने जानलेवा हमला किया, जिसमें 2 किसान बुरी तरह घायल हुए, उससे 2 दिन पहले पत्रकारों से मारपीट और बंधक भी बनाया था.
6 जनवरी 2023 को खनन माफियाओं ने खनन विभाग की ही टीम पर जानलेवा हमला कर दिया, खनन माफिया ने चलते टिप्पर से एसआई को धक्का देकर नीचे गिरा दिया और टिप्पर में फंसी बोलेरो गाड़ी को 50 मीटर तक दूर घसीट कर ले गए.
3 फरवरी 2023 को करनाल में खनन माफियाओं ने डीएसपी मनोज कुमार को डंपर से कुचलने का प्रयास किया, पुलिस ने कुछ देर बाद पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया.
मिट्टी से लेकर रेत और बजरी कई तरह की अवैध माइनिंग इन दिनों सूबे में हो रही है. हांलाकि सरकार का प्लान खनन माफियाओं के आगे सरेंडर कर जाता है और उनके हौसलों को ताकत मिल जाती है तभी तो वो बड़े से बड़े अधिकारी को डंपर से कुचलने का साहस दिखाते हैं. सरकार कहती है हम कड़ा एक्शन ले रहे हैं प्रदेश में खनन माफियाओं के काले कारनामों की लंबी चौड़ी लिस्ट पुलिस थानों और अधिकारियों के दफ्तरों में धूल फांक रही है लेकिन कार्रवाई महज हल्के स्तर पर होती है.
इन सुलगते सवालों के मिलेंगे जवाब ?
पुलिस प्रशासन और सूबे के खनन मंत्री के तमाम दावों के बावजूद क्या इन सुलगते सवालों के जवाब मिलेंगे?
अवैध खनन की छूट देने में क्या प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी बड़ी वजह नहीं है ?
खनन माफियाओं से प्रशासन की मिलीभगत के बिना अवैध खनन हो सकता है ?
सरकार को भारी चूना लगा रहे हैं खनन माफिया, फिर बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं होती ?
खनन माफियाओं के बुलंद हौसलों की बड़ी वजह खाकी और खादी से गठजोड़ है ?
किसी की जान से खेलना खनन माफियाओं की आदत में शुमार हो गया है, चाहे वह खुद पुलिस अधिकारी ही क्यों न हो?
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