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हाथरस गैंगरेप: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगी राहत योजना की जानकारी

जस्टिस जसप्रीत सिंह और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने 22 अक्टूबर तक सरकार से जवाब मांगा है.

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राज्य
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हाथरस गैंगरेप मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 25 सितंबर को उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि क्या उसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 15-A की उपधारा 11 के तहत एससी/एसटी एक्ट1995 को ध्यान में रखते हुए कोई योजना बनाई है.

जस्टिस जसप्रीत सिंह और जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने हाथरस गैंग रेप मामले में ये टिप्पणी की और 22 अक्टूबर तक सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा,

यह सुनिश्चित करके कि उनके अधिकार लागू और संरक्षित हैं, संबंधित सब सेक्शन के तहत पीड़ितों और गवाहों के लिए न्याय को आसान बनाना संबंधित राज्य का कर्तव्य है.
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अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एक्ट, 1995 के नियम 14 में पीड़ितों को राहत और पुनर्वास के लिए राज्य सरकारों की जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया है. अदालत ने ये भी कहा कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत राहत से संबंधित प्रावधान गैर-विवादास्पद थे.

यूपी सरकार ने नहीं दिया घर और रोजगार

लाइव लॉ के अनुसार, पीड़ित की ओर से न्याय मित्र जयदीप नारायण माथुर और वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कि राज्य के हलफनामे में कहा गया है कि पीड़ित के परिवार को एक घर, खेती की जमीन और परिवार के एक सदस्य को रोजगार नहीं दिया गया था क्योंकि परिवार के पास पहले से ही एक घर, जमीन था और लड़की अपने पिता पर निर्भर थी.

इसके अलावा, वकील ने तर्क दिया कि नियमों के तहत 5,000 रुपये की मासिक पेंशन भी पीड़ित परिवार को नहीं दी गई थी. इसके जवाब में, कोर्ट ने पीड़िता के वकील को 22 अक्टूबर तक राज्य के हलफनामे का जवाब दाखिल करने को कहा.
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इससे पहले क्या हुआ था ?

पिछले महीने, पीड़िता के भाई ने एक याचिका दायर की थी जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुकदमे पर रोक लगाने या हाथरस के बाहर एक स्पेशल कोर्ट में भेजने से इनकार कर दिया.

पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया था कि एक अनियंत्रित भीड़, जिसमें वकील भी शामिल थे, कार्यवाही के दौरान निचली अदालत में घुस गई और गवाहों और शिकायतकर्ता के वकील को धमकाया और ट्रायल जज को कार्यवाही रोकने के लिए मजबूर किया.

हालांकि, आदेश में कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया था कि किसी भी व्यक्ति द्वारा मुकदमे में बाधा न डालने के संबंध में गवाहों और पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने के पिछले आदेश जारी रहेंगे.

20 मार्च को, हाईकोर्ट ने हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले में गवाहों और वकीलों की सुरक्षा के लिए कोर्ट ने कई निर्देश भी जारी किए थे.

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क्या था मामला?

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की एक दलित युवती के साथ तथाकथित 'उच्च' जाति के चार लोगों ने कथित तौर पर गैंग रेप किया था.

दो हफ्ते बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद, पीड़िता का उसके परिवार की सहमति के बिना पुलिस ने देर रात जबरन अंतिम संस्कार कर दिया था.

बाद में पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया. 14 सितंबर को, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाथरस बलात्कार पीड़िता को न्याय में देरी पर चिंता जाहिर की.

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