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हिमाचलः सचिवालय के कमरा नंबर-202 से जुड़ा है अंधविश्वास, किस मंत्री को होगा अलॉट

हिमाचल प्रदेश सचिवालय के इस कमरा नंबर में जो भी मंत्री बैठा वह हार गया. पिछले ढाई दशक का इतिहास तो यही कहता है.

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हिमाचल के सीएम सुक्खू के मंत्रियों की शपथ के साथ ही एक बार फिर सचिवालय का कमरा नंबर 202 चर्चा में आ गया है. सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये कमरा नंबर 202 किसको मिलेगा. रविवार को सुक्खू के सात सिपाहियों ने मंत्री पद की शपथ ली, लेकिन इनमें से किसी को भी कमरा नंबर 202 अलॉट नहीं हुआ है. लिहाजा अब सवाल ये है कि जो तीन मंत्री और बनने हैं क्या उनमें से किसी को ये कमरा नंबर 202 मिलेगा है या नहीं. और अगर मिलता है तो अगली बार उसका क्या होगा? क्या है इस कमरे से नेताओं का हार का कनेक्शन?

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चुनाव आते ही चर्चा में होता है कमरा

सचिवालय का कमरा नंबर 202, जब भी हिमाचल में चुनाव होते हैं तो ये कमरा चर्चा में आ जाता है. क्योंकि इस कमरे में मंत्री बनकर जो बैठा, वो अगला चुनाव नहीं जीता. इस कमरे में बैठकर अगली बार हारने वालों की लिस्ट में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और नरेंद्र बरागटा जैसे कई दिग्गज शामिल हैं और हर बार की तरह इस बार भी ऐसा ही हुआ. पिछली बार चुनाव जीतकर आए मंत्री रामलाल मारकंडा को यह कमरा मिला था तो इस बार हार का सामना करना पड़ा.

ढाई दशक से बरकार है इतिहास

बीते करीब ढाई दशक का इतिहास बताता है कि कमरा नंबर-202 में बैठने वाले कैबिनेट मंत्री जीतकर वापस विधानसभा नहीं पहुंचते और इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. सचिवालय के कमरा नंबर 202 में बैठने वाले पूर्व मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा इस बार चुनाव हार गए. अब प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता वापसी हो चुकी है और ये कमरा नंबर 202 फिर चर्चा में आ गया है. बहरहाल सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस बार इस कमरे में कौन बैठेगा ?

कमरा नंबर 202 में बैठने के बाद कौन-कौन हारा?

हिमाचल प्रदेश राज्य सचिवालय का कमरा नंबर 202 वो कमरा है जिसमें बैठने वाला मंत्री अगला चुनाव हार जाता है. इस कमरे में मंत्री बनने पर जगत प्रकाश नड्डा, आशा कुमारी, नरेंद्र बरागटा और सुधीर शर्मा भी बैठे हैं और ये सभी तत्कालीन मंत्री रहते हुए अगला चुनाव हार गए.

कौन कब हारा चुनाव ?

साल 1998 के बाद से ये सिलसिला शुरू हुआ था. 1998 में बिलासपुर से दूसरी बार चुनाव जीतने वाले जेपी नड्डा को धूमल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था. जेपी नड्डा को भी कमरा नंबर 202 अलॉट हुआ और साल 2003 में वो चुनाव हार गए थे.

2003 में सत्ता परिवर्तन का रिवाज जारी रहा और बीजेपी के बाद कांग्रेस सत्ता में आई. नड्डा के बाद कमरा नंबर- 202 कांग्रेस सरकार की शिक्षा मंत्री आशा कुमारी को अलॉट हुआ और फिर साल 2007 में वे बीजेपी की रेनू चड्ढा से चुनाव हार गईं.

2007 में प्रदेश में बीजेपी सरकार सत्ता में आई और प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस बार कमरा नंबर-202 बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा को मिला और 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में वो कांग्रेस के रोहित ठाकुर से चुनाव हार गए.

2012 में सरकार फिर कांग्रेस की आई और नरेंद्र बरागटा को हराने वालसुधीर शर्मा को बतौर शहरी विकास मंत्री ये कमरा मिला, लेकिन कमरा नंबर 202 के इतिहास ने उन्हें भी नहीं छोड़ा और 2017 मे सुधीर शर्मा को हार का सामना करना पड़ा.

अब साल आ गया 2022 यानी इस बार के चुनाव. इस बार ये कमरा तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा को मिला था, लेकिन हर बार की तरह मंत्री मारकंडा को हार का सामना करना पड़ा.

रामलाल मारकंडा ने बताया था इसे अंधविश्वास

इस बार लाहौल स्पीति से चुनाव लड़े रामलाल मारकंडा के सामने कांग्रेस के रवि ठाकुर थे. रवि ने रामलाल को 1616 वोट से शिकस्त दी. 2017 में जब डॉ. रामलाल मारकंडा को मंत्री पद मिला और उन्हें कमरा नंबर- 202 अलॉट हुआ तो उन्होंने इसे अंधविश्वास ही बताया था.

जो भी हो लेकिन, सालों का इतिहास यह बताता है कि कमरा नंबर 202 में बैठने वाले कैबिनेट मंत्री जीतकर वापस विधानसभा नहीं आता है. लिहाजा इस बार भी सवाल ये उठ रहा है कि जो मंत्री कमरा नंबर 202 में बैठकर सरकार का कामकाज निपटाएगा, क्या अगली बार चुनाव जीत पायेगा ?

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