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हिमाचल कर्मचारी चयन आयोग का कामकाज सस्पेंड, सरकार ने रोकी सभी भर्तियां

कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई पहली बार की गई है.

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सत्ता में आते ही प्रदेश की सुक्खू सरकार एक के बाद एक चौंकाने वाली कार्रवाइयां कर रही हैं. पेपर लीक होने की आशंका में पहले जाल बिछाकर कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission Work suspended) हमीरपुर की एक बड़ी महिला अधिकारी समेत तीन आरोपियों का पकड़ा और अब कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से की जा रही सभी भर्तियां रोकते हुए आयोग का कामकाज ही सस्पेंड कर दिया है. सरकार ने कार्रवाई करते हुए आयोग के सचिव और उप सचिव को शिमला बुला लिया है. अब इनका काम OSD देखेंगे और OSD का जिम्मा ADC हमीरपुर को सौंपा गया है. कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई पहली बार की गई है.

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आयोग के चेयरमैन समेत सभी चारों मेंबर भी सस्पेंड

आपको बता दें कि इसके साथ ही आयोग के चेयरमैन समेत सभी चारों मेंबर भी सस्पेंड हो गए हैं और सरकार ने आयोग के जरिए कराई जा रही सभी भर्तियों को तुरंत प्रभाव से रोक दिया है. क्योंकि आरोपियों के घर से कुछ हो चुके और कुछ होने वाले पेपर भी बरामद किए गए हैं.

क्या है मामला, कहां से हुई कार्रवाई की शुरूआत ?

दरअसल 23 दिसबर 2022 को चयन आयोग की तरफ से कराई जा रही परीक्षा JOA-IT 965 का पेपर लीक हो गया था. और विजिलेंस ने महिला अधिकारी को मोटी रकम के साथ पेपर बेचते हुए रंगे हाथ पकड़ा था. जिसके बाद दो और आरोपियों को टीम ने दबोचा. बताया जा रहा है कि लगभग चार लाख रुपए में ये पेपर बेचा था. हिमाचल सरकार ने यह कार्रवाई शक के आधार पर जाल बिछाकर की थी.

महिला आरोपी के घर से एक जनवरी को होने वाली परीक्षा का पेपर भी किया बरामद

विजिलेंस टीम ने आरोपी महिला कर्मचारी के ससुराल वाले घर से JOA-IT समेत तीन और पेपर भी बरामद किए हैं. ADGP विजिलेंस सतवंत अटवाल ने बताया इन दो प्रश्न पत्रों में से एक परीक्षा पहली जनवरी को होनी थी, जबकि दूसरे प्रश्न पत्र की परीक्षा की तारीख अभी तय होनी थी. विजिलेंस टीम पता लगा रही है कि महिला ने सीक्रेसी ब्रांच से कौन-कौन सी परीक्षा के पेपर लीक किए हैं और कहां-कहां बेचे हैं.

आरोपियों से अब तक सात लाख 90 हजार 500 रुपए की रकम पकड़ी गई है. इस मामले में अभी और कई गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है. विजिलेंस ASP हमीरपुर रेणू शर्मा मामले की जांच कर रही हैं.

कोचिंग सेंटर को बेचे जाते थे पेपर!

मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि चयन आयोग के दलाल कर्मचारियों की सांठ-गांठ बाहर एक कोचिंग सेंटर संचालक से थी. जो कोचिंग सेंटर की आड़ में पेपर बेचने का काम करता था. यह सिलसिला कब से चल रहा था विजिलेंस इसकी भी जांच कर रही है. विजिलेंस की टीम ने इस कोचिंग सेंटर का रिकॉर्ड भी अपने कब्जे में ले लिया है और अब यहां पर टाइपिंग सीखने और कोचिंग लेने वाले तमाम स्टूडेंट से भी पूछताछ की जाएगी और अगर जांच में सही पाया जाता है कि कोचिंग सेंटर संचालक को पेपर बेचे जाते थे रिकॉर्ड खंगाल कर नौकरी लेने वालों पर भी गाज गिरेगी.

मुख्य आरोपी के बेटे के जरिए होती थी पेपरों की खरीद-फरोख्त

कोचिंग सेंटर का संचालक हमीरपुर का ही रहने वाला है और वह चयन आयोग के कर्मचारी और पेपर लीक कांड के मुख्य आरोपी के बेटे के साथ मिलकर पेपर के खरीददारों को तलाशता था. डील फाइनल होने के बाद ही कर्मचारी चयन आयोग के आरोपी कर्मचारी के जरिए पेपर की खरीद-फरोख्त को अंजाम दिया जाता था. माना यह भी जा रहा है कि एक-दो नहीं बल्कि कई परीक्षाओं के पेपर इन आरोपियों ने बेचे हैं.

परिक्षाओं की नोटिफिकेशन होते ही तलाशने शुरू हो जाते थे ग्राहक

जानकारी के मुताबिक जैसे ही चयन आयोग की तरफ से किसी भी परीक्षा की नोटिफिकेशन होती थी तो आरोपी कोचिंग सेंटर संचालक अपने कोचिंग सेंटर के जरिए ग्राहकों को ढूंढना शुरू कर देता था. पेपर के खरीददार अभ्यर्थियों को आश्वस्त करने के बाद परीक्षा से दो दिन पहले ही पैसे का लेनदेन होता था और पेपर मुहैया करवाए जाते थे.

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CM सुक्खू बोले- हमें पहले से पता था इसलिए प्लानिंग के साथ की कार्रवाई

पेपर लीक गोरखधंधे का भंडाफोड़ करने को लेकर प्रदेश भर में सुक्खू सरकार की वाहावाही हो रही है. वहीं मामले पर सुक्खू ने कहा कि यह गोरखधंधा पिछले चार साल से चल रहा था और वे इसे अच्छी तरह से जानते थे. लेकिन तब बीजेपी की सरकार होने से मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. लिहाजा अब उन्होंने पूरी प्लानिंग की और पुलिस वालों को इस कार्रवाई में शामिल किया. तब जाकर यह ऑपरेशन सक्सेस हुआ है. सुक्खू ने इस ऑपरेशन में शामिल पुलिस वालों के काम की तारीफ की है और कहा कि कार्रवाई जारी है और इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.

CM सुक्खू से मिलेंगे अभ्यार्थी

पेपर लीक मामले को लेकर JOA-IT के अभ्यर्थी शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेंगे. दरअसल अभ्यर्थियों में ये भ्रम फैला है कि सरकार पिछली भर्तियों को रद्द कर सकती है. अभ्यर्थी मुख्यमंत्री से पुरानी भर्तियों को रद्द न करने के लिए अनुरोध करेंगे.

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