झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में 21 जनवरी को एक गांव में 7 लोगों की हत्या की वारदात सामने आई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई को पुलिस ने बताया कि पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों ने 7 गांव वालों को पहले किडनैप किया और फिर लाठियों और कुल्हाड़ियों उनकी हत्या कर दी. जानकारी के मुताबिक जिन लोगों की हत्या हुई वो कथित तौर पर इस आंदोलन के विरोध में थे.
इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस संकेत कुमार सिंह ने बताया कि 7 स्थानीय लोगों की मौत की खबर मिलने के बाद पुलिस वाले 21 जनवरी को बुरुगुलीकेड़ा गांव पहुंचे. लोगों को मारकर उनके मृत शरीर को पास के जंगल में फेंक दिया गया. मारे गए लोगों में पंचायत के प्रतिनिधि भी शामिल थे.
पास के इलाके में खोजबीन करने के बाद पुलिस ने जंगल से मृत शरीर ढूंढे. ये गांव से करीब 4 किमी दूर मिले. पश्चिमी सिंहभूम के एसपी ने बताया कि 21 जनवरी को गांव में पत्थलगड़ी आंदोलन को लेकर बैठक थी तभी गांव वालों में विवाद हुआ.
क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन
यह आंदोलन 2017-18 में तब शुरू हुआ था, जब बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए गए थे. यह एक आंदोलन के रूप में व्यापक होता चला गया. लिहाजा इसे पत्थलगड़ी आंदोलन का नाम दिया गया. कहा जाता है कि आदिवासी समुदायों में पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है. इसमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी लिखी जाती है. वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद में पत्थर पर पूरी जानकारी लिखी होती है.
इस आंदोलन के तहत आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थरों पर संविधान की 5वीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए प्रदान किए गए अधिकारों को लिख-लिख कर जगह-जगह जमीन के ऊपर लगा दिया.
पिछली बीजेपी सरकार ने आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल लोगों पर आपराधिक मामले भी दर्ज किए थे और इन मामलों में भारतीय दंड संहिता की राजद्रोह की धाराओं के तहत कई नामजद लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी.
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