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युवाओं ने बनाया, सिस्टम ने लटकाया-परमिशन के इंतजार में कोविड सेंटर

जमशेदपुर में युवाओं ने कोविड आइसोलेशन सेंटर खोला है, लेकिन सिविल सर्जन से अनुमति का इंतजार कर रहे हैं.

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देशभर में कोविड की दूसरी लहर की वजह से कोरोना के बढ़ते गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन युक्त बेड की कमी जग जाहिर है. वहीं, देश के युवा इस मुश्किल घड़ी से निपटने के लिए अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रहे हैं. ऐसी ही कोशिश का परिणाम है कि 3 हफ्ते पहले जमशेदपुर के युवाओं ने 20 बेडों का एक फ्री आइसोलेशन सेंटर तैयार किया. अथॉरिटी का दावा है कि जमशेदपुर के सिविल सर्जन ने इस केंद्र को अनुमति नहीं दी.

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जमशेदपुर का आजाद नगर लगभग 1 लाख 20 हजार की घनी आबादी वाला क्षेत्र है. यह क्षेत्र वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की विधानसभा के अंतर्गत आता है. एक बात और ध्यान देने वाली ये है कि इस क्षेत्र में एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है.

जब जिले में कोविड की संख्या बढ़ी तो आजाद नगर के केंद्र में स्थित पब्लिक वेलफेयर हाईस्कूल के हॉल को लोकल युवाओं ने कोविड आइसोलेशन सेंटर बनाने के लिए जिले के सिविल सर्जन से अनुमति देने की गुहार लगाई.

आजाद नगर जैसे आइसोलेशन सेंटर क्यों जरूरी हैं?

इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए क्विंट ने जमशेदपुर में कोविड की मौजूदा स्थिति की पड़ताल की. सिविल सर्जन के मुताबिक, 22.9 लाख आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम जिले में ऑक्सीजन वाले बेडों की संख्या 961 है, जबकि जिला प्रशासन द्वारा जारी डेटा के मुताबिक, 8 मई तक जिले में कुल 40,802 कोविड केस मिले हैं. इसमें से 6,683 एक्टिव केस हैं. जिले में 6, 7 और 8 मई को क्रमश: 1010, 768 और 1075 नए केस सामने आए थे. अब तक जिले में कोविड से 794 लोगों की मौत हो चुकी हैं. इन आंकड़ों को देखा जाए तो जिले में कोविड आइसोलेशन सेंटर की जरूरत काफी ज्यादा है.

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‘डॉक्टर साथ जुड़ने को तैयार, बस अनुमति का इंतजार’

इस सकारात्मक कोशिश का नेतृत्व करने वाले काशिफ रजा खान ने क्विंट से कहा कि अस्पताल की कमी को हमेशा से यह क्षेत्र झेलता आया है, लेकिन पिछले कई हफ्तों से शहर में कोविड के केस बढ़ रहे हैं. शहर के केंद्र में दो बड़े अस्पताल हैं- एक MGM मेडिकल कॉलेज का अस्पताल जिसपर कई जिले इलाज के लिए निर्भर हैं. इस वजह से यहां बेड की उपलब्धता नॉर्मल दिनों में भी प्रभावित रहती है. दूसरा अस्पताल टाटा मेन हॉस्पिटल है, जिसपर टाटा के एम्पलॉय तो निर्भर हैं ही, साथ ही कई जिलों के सक्षम लोग जो अस्पताल का की फीस वहन कर सकते हैं, वह ही टाटा मेन हॉस्पिटल जाते हैं. आजाद नगर में अस्पताल नहीं होने और शहर में कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर स्थानीय युवा चिंतित थे.

काशिफ आगे बताते हैं कि उन लोगों द्वारा बनाए गए आइसोलेशन सेंटर में डॉक्टर-नर्स से लेकर ऑक्सीजन और बेड की सुविधा भी है. उन्होंने कहा, “हमने पब्लिक वेलफेयर स्कूल की कमेटी से विद्यालय में अस्थायी कोविड आइसोलेशन सेंटर बनाने का निवेदन किया. हमारी इस मुहिम को सफल बनाने के लिए स्थानीय दस सामाजिक संस्थाओं ने आइसोलेशन सेंटर की तमाम जरूरी चीजें जैसे बेड, ऑक्सीजन, डॉक्टर, नर्स आदि की व्यवस्था कराई.”

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“हमारे इस क्षेत्र की आबादी बड़ी है, इसकी तुलना में हमारा 20 बेड का कोविड सेंटर बहुत छोटा है, लेकिन मुझे विश्वास है कि हमारी इस पहल को देख दूसरे युवा भी ऐसे कदम उठाएंगे, जिससे हम इस विषम परिस्थिति में सरकार की मदद कर पाएंगे, लेकिन समस्या ये है कि अनुमति नहीं मिली. अगर अनुमति मिलती है तो हम इसे और बड़ा आकार देंगे. हमारे सेंटर के लिए चौबीस घंटे दो डॉक्टर और 7 नर्स की टीम उपलब्ध रहेगी. साथ ही एक दर्जन डॉक्टर हमारी इस मुहिम से जुड़ने के लिए तैयार हैं, जो अपनी व्यस्त दिनचर्या से अपना कीमती समय यहां देने के लिए तैयार हैं. इस फ्री सुविधा का लाभ क्षेत्र के उन लोकल लोगों को मिलेगा, जो प्राइवेट अस्पताल में इलाज नहीं करा सकते.”
काशिफ रजा खान

काशिफ आगे कहते हैं कि 3 हफ्ते पहले हमने सेंटर की सारी तैयारी कर ली थी, लेकिन सेंटर आज भी सिविल सर्जन की अनुमति के इंतजार में है. “अनुमति पाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किया गया, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली. आज भी हम सिविल सर्जन से मिल कर आ रहे हैं.”

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अब तक क्यों नहीं मिली इजाजत?

सिविल सर्जन डॉक्टर अरविंद कुमार लाल ने इस मामले पर कहा कि युवा बिना पेपर के उनके पास पहुंचे थे. उन्होंने कहा, “मैंने कहा कि आप पेपर लेकर आइए, आज दो लोग आए थे. हमने कहा है कि कल तक अनुमति दे देंगे. उन्होंने कहा कि आप अनुमति दीजिए हम 50 से 100 बेड का सेंटर खोल देंगे.”

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि “हमने सिविल सर्जन से पूछा कि आप परमीशन देने में इतनी देर क्यों लगा रहे हैं. इस बात पर CS ने कहा कि यह नए नए लोग हैं, ऑक्सीजन का मामला है कोई टेक्निकल प्रॉबलम हो जाएगी तो सब जिला स्वास्थ्य पर मामला आजाएगा. इसलिए जांच-पड़ताल के बाद ही परमीशन देना था. कल परमीशन दे देंगे. मेरा तो मानना कि अगर ऐसे युवा आगे आकर कोरोना काल में मदद करना चाहते हैं तो उनका स्वागत है.”

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