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नाम,उम्र और जिला एक-प्रशासन कोविड पॉजिटिव के बजाय दूसरे को ले गया

झारखंड के दो प्रवासी मजदूर,दोनों का नाम,उम्र और जिला एक. दोनों में एक फर्क था. दोनों में से एक कोरोना पॉजिटव था.

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झारखंड के दो प्रवासी मजदूर. दोनों का नाम एक. दोनों की उम्र एक. दोनों के जिले एक. दोनों जिस शहर से लौटे थे, वो शहर भुवनेश्वर भी एक. लेकिन दोनों में एक फर्क था. दोनों में से एक कोरोना पॉजिटव था. जो कोरोना पॉजिटिव था, जिला प्रशासन उसके बजाय दूसरे को घर से उठाकर ले गया और कोरोना के मरीजों के साथ अस्पताल में रख दिया.

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कहां से शुरू हुआ मामला?

दरअसल झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में चक्रधरपुर ब्लॉक के समान नाम वाले दो शख्स भुवनेश्वर में मजदूरी करते थे, जिनका नाम मानकी गागराई है. लॉकडाउन की वजह शहर में काम नहीं रहा तो दोनों 18 मई को चाईबासा पहुंचे. लोहासाई पंचायत के मानकी गागराई की COVID को लेकर आरंभिक जांच हुई. उसके बाद उसे होम क्वॉरन्टीन कर दिया गया. जबकि भरनिया पंचायत के दूसरे मानकी गागराई का स्वाब टेस्ट हुआ. रिपोर्ट आने तक प्रशासन ने उसे उसकी पंचायत में क्वॉरन्टीन कर दिया.

लोहासाई मानकी गागराई बताते हैं-'जब मैं गांव पहुंचा तो गांव वालों ने मुझे प्रवेश से रोका. उनके विरोध के बाद मैं पंचायत भवन के क्वॉरन्टीन सेंटर में रुक गया. वहां पहले से ही 80 मजदूर मौजूद थे. उसी बीच मुंबई से और लेबर आए. मैं डर गया कि कहीं मुझे कोरोना न हो जाए. मुखिया की मदद से मैंने ब्लॉक जाकर फिर चेक आप कराया. चूंकि क्वॉरन्टीन में मेरा समय पूरा हो गया था इसलिए मुझे घर भेज दिया गया.'

बहरहाल इस बीच भरनिया पंचायत के मानकी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. प्रशासन को उन्हें अस्पताल ले जाना चाहिए था. लेकिन वो ले गई लोहासाई के मानकी को.

‘बुधवार की रात अचानक थाना प्रभारी एम्बुलेंस के साथ मेरे घर पहुंचे और मुझे कुछ कहे बगैर गाड़ी में बैठने कहा. मैंने बहुत पूछा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. मुझे जबरन चक्रधरपुर स्थित रेलवे कोविड हॉस्पिटल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के साथ रख दिया गया. मैं आहत तब हुआ जब मेरे परिवार की दो महिलाएं और तीन बच्चों को बुधवार की ही रात में क्वॉरन्टीन कर दिया गया. अब मुझे डर है कि गांव वाले मुझसे घुले मिलेंगे नहीं.
मानकी गागराई, लोहासाई पंचायत
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अधिकारियों की गलती की मिली सजा

लोहासाई पंचायत की मुखिया  चालमुनी पूर्ति  कहती हैं - "मैं मानकी को लेकर बहुत चिंतित थी, मैंने BDO साहब को फोन कर बताया कि आपने जिस मानकी को भर्ती किया है, उसके पिता का नाम सेलाय गागराई है जबकि कोरोना पॉज़िटिव मानकी गागराई के पिता का नाम दोराय गागराई है. अतः हमारे गांव के मानकी को दूसरे कमरे में रखिए, वह कोरोना पॉजिटिव नहीं है. तब जाकर उसे कोरोना पॉजिटिव पेशेंट से अलग कमरे में गुरूवार की सुबह रखा गया. अब मुझे भी बदनाम किया जा रहा है कि मैंने मानकी को बचाया नहीं."

ब्लॉक लेवल पर चूक हुई, जब हमारे डिपार्टमेंट को खबर आई कि मानकी गागराई नाम का शख्स चक्रधरपुर ब्लॉक का है, वह कोरोना पॉजिटिव है. हमने उस रिपोर्ट को चक्रधरपुर ब्लॉक भेजा. ब्लॉक के अधिकारीयों ने प्रोसेस करने में गलती की.
डॉ ओपी गुप्ता, सिविल सर्जन, पश्चिम सिंहभूम

जब क्विंट ने ब्लॉक अफसर यानी BDO, चक्रधरपुर, रामनारायण सिंह से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा - 'मुझे कुछ नहीं पता है. यह जिला चिकित्सा पदाधिकारी की गलती है.' विडंबना देखिए इतनी बड़ी चूक हो जाने के बाद भी अधिकारी कोई सबक लेने के बजाय एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

बहरहाल अब भूल सुधार करते हुए भरनिया के मानकी गागराईको कोविड अस्पताल में रखा गया है और लोहासाई के मानकी गागरी को होम क्वॉरन्टीन किया गया है.

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