कोयला राजधानी धनबाद झारखंड (Jharkhand) राज्य में है. लेकिन झारखंड इस समय कोयला संकट (Coal Crisis) से जूझ रहा है. कोयले की कमी साफ इसलिए दिखने लगी है क्योंकि उत्तर भारत में भीषण गर्मी की वजह से बिजली की मांग बढ़ गई है.
पूरे राज्य में अब बिजली कटौती शुरू हो गई है. लोड शेडिंग (Load Shedding) कर एक जगह की बिजली काट (Power Cut) कर दूसरी जगह भेजी जा रही है. ग्रामीण क्षेत्र ज्यादा परेशान हैं, लेकिन शहरों में भी बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
इस मामले पर क्रिकेटर एमएस धोनी की पत्नि ने भी ट्वीट किया है.
राज्य के कई जिलों में शुक्रवार, 22 अप्रैल की शाम पांच बजे से लोड शेडिंग शुरू हो गई है. राजधानी रांची और जमशेदपुर में चार से छह घंटे बिजली कटौती हो रही है लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालत बुरी है. हजारीबाग, डालटनगंज...हर शहर से बिजली कटौती की खबरें हैं. एक बत्ती गुल है तो दूसरी तरफ गर्मी फुल है.
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की पत्नि साक्षी सिंह ने ट्वीट किया कि, "झारखंड की एक करदाता होने के नाते मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं कि झारखंड में इतने सालों से बिजली संकट क्यों हैं? हम अपनी तरफ से सुनिश्चित करते हैं कि ऊर्जा की बचत हो!"
कहां कितने घंटे बिजली कटौती
रांची- 4-5 घंटे
जमशेदपुर- 6-7 घंटे
बोकारो-6 घंटे
रामगढ़- 4-5 घंटे
हजारीबाग- 5-6 घंटे
इसी तरह राज्य के बाकी इलाकों में बिजली कट रही है. ग्रामीण इलाकों में समस्या ज्यादा है.
राज्य में बिजली की कितनी मांग, कितनी पूरी हो पा रही है?
जानकारी के मुताबिक, राज्य में सामान्य दिनों में 1400 मेगावॉट बिजली की मांग रहती है. गर्मी के कारण मांग में 400 मेगावॉट से ज्यादा की मांग बढ़कर 1800 मेगावाट या इससे ज्यादा हो जाती है.
फिलहाल TVNL (तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड) की दो यूनिट से करीब 350 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. वहीं, 50 मेगावॉट इनलैंड पावर जनरेशन की मदद से बन रही है. लेकिन झारखंड दैनिक मांग की तुलना में केवल 400 मेगावॉट बिजली का उत्पादन ही कर रहा है.
180 मेगावॉट मॉडर्न पावर से और कुछ बिजली एनटीपीसी और एनएचपीसी से आ रही है जिनसे लंबे समय से समझौता जारी है. इसके अलावा बाकी बिजली मांग के अनुसार सेंट्रल एक्सचेंज से खरीदी जाती है.
बिजली संकट पर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के साथ राष्ट्रीय स्तर की बैठक हुई है. धुर्वा में बिजली मुख्यालय में ये बैठक ऑनलाइन हुई जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात समेत अन्य राज्यों ने कोयला की कमी के चलते बिजली उत्पादन प्रभावित होने की बात कही है.
जेबीवीएनएल (Jharkhand Bijli Vitran Nigam Limited) के अधिकारी ने बताया कि इस बैठक में झारखंड ने भी अपनी ऊर्जा संबंधी समस्याएं मजबूती से रखीं. बताया गया कि एनटीपीसी के चतरा स्थित नॉर्थ कर्णपुरा परियोजना से उत्पादित होनेवाली 1980 मेगावॉट में से 500 मेगावॉट बिजली मिलनी थी. इस परियोजना को जल्द से जल्द क्रियान्वित किया जाना चाहिए.
क्यों कट रही है इतनी बिजली?
गर्मी के साथ बढ़ी मांग
सोमवार को झारखंड कांग्रेस के एक दल ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) के मैनेजिंग डायरेक्टर केके वर्मा से मुलाकात की थी. दल में शामिल आलोक दुबे का दावा था कि राज्य की राजधानी में 12 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है.
हालांकि JBVNL ने दावा किया है कि राजधानी में 20 घंटे तक आपूर्ति हो रही है. JBVNL का कहना है कि गर्मी में बिजली की बढ़ी डिमांड के कारण कटौती हो रही है. उन्होंने सलाह दी है कि लोग शाम 6 से रात 10 बजे तक एसी की इस्तेमाल ना करें. इसके साथ ही उन्होंने इंडस्ट्री को सलाह दी है कि वो शाम 6 से सुबह 10 बजे तक बिजली का इस्तेमाल न करें.
कोयला की आपूर्ति नहीं
ये भी कहा जा रहा है कि तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड को जरूरत के हिसाब से कोयला नहीं मिल पा रहा है इसलिए कम बिजली बन रही है. एक ऐसे राज्य के लिए ये विडंबना है कि जहां से कोयला दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, वहीं के बिजली उत्पादकों को पर्याप्त कोयला नहीं मिल पा रहा है.
क्या वाकई में राज्य में कोयला संकट गहरा गया है और राज्य सरकार के पास कोयला खरीदने के पैसे भी नहीं बचे? झारखंड के एनर्जी डिपार्टमेंट के प्रिंसपल सेक्रेटरी अविनाश कुमार ने क्विंट को बताया -
इस साल गर्मी में हमारा लोड अचानक बढ़ गया है. पिछले कुछ सालों में गर्मियों में ये बिजली का लोड 1800 मेगावॉट, 1900 मेगावॉट या 2000 मेगावॉट से बढ़कर 2300 मेगावॉट हो जाता था लेकिन इस बार 2600 हो गया है. लेकिन अभी हम बहुत बुरी स्थिति में नहीं है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि समस्या शुरू हो गई है जो कि पूरे देश में होगी.क्विंट से झारखंड के एनर्जी डिपार्टमेंट प्रिंसपल सेक्रेटरी अविनाश कुमार
इनपुट- मोहम्मद सरताज आलम
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