कोरोना महामारी के दौर में लोगों की जेब पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. लाखों लोग बेरोजगार हुए हैं और अपनी रोजी रोटी चलाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया. इसीलिए सरकार की तरफ से स्कूलों को ये निर्देश जारी किए गए थे कि वो सिर्फ ट्यूशन फीस ही लें और हो सके तो जल्दी फीस भरने का दबाव न बनाया जाए. लेकिन झारखंड में एक स्कूल ने फीस नहीं भरने के चलते एक बच्ची का ऑनलाइन क्लास से नाम हटा दिया गया और ये बच्ची कोई और नहीं बल्कि खुद शिक्षा मंत्री की नातिन थी.
मंत्री फीस भरने खुद पहुंच गए स्कूल
दरअसल स्कूलों की मनमानी को लेकर झारखंड में कई बार सवाल खड़े हुए, लेकिन अबकी बार खुद शिक्षा मंत्री ही स्कूल की मनमानी का शिकार हो गए. झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की नातिन का अप्रैल से लेकर सितंबर तक का ट्यूशन फीस बकाया था. फीस बकाया होने के बाद स्कूल की ओर से नाम काटे जाने की बात कही गई. इसकी जानकारी शिक्षा मंत्री की बेटी ने अपने पिता को दी.
इसके बाद शिक्षा मंत्री ने स्कूल प्रबंधन को फोन कर आश्वासन दिया कि आप नाम न हटाएं, बकाया फीस जमा कर दी जाएगी. लेकिन मंत्री जी के इस फोन के बावजूद शिक्षा मंत्री की नातिन का नाम ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जारी लिंक से हटा दिया गया.
स्कूल की पढ़ाई से नाम हटाए जाने के बाद शनिवार को शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो बोकारो के चास स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल पहुंच गए. मंत्री ने स्कूल पहुंचकर खुद नातिन के ट्यूशन फीस का बकाया 22,800 रुपए जमा कराया. इस दौरान मंत्री ने मीडिया से कहा,
हम स्कूल में जानने के लिए आए हैं कि अगर हमारे साथ ऐसा हुआ है तो दूसरों के साथ क्या होता होगा. हम इस पर आगे जांच करेंगे. हमने अभिभावक के तौर पर स्कूल फीस जमा करवाई है.
स्कूल प्रिंसिपल ने किया इनकार
वहीं इस पूरे मामले को लेकर स्कूल की प्रिंसिपल शैलजा जयकुमार ने कहा कि बच्ची का नाम नहीं काटा गया था. उन्होंने कहा कि बच्ची चौथी क्लास में है, इसीलिए उसे वॉट्सऐप पर ही काम दिया जाता है, ऑनलाइन क्लास सिर्फ डाउट क्लियर करने के लिए होती है. थोड़ा मिस कम्युनिकेशन हुआ है. बच्ची ने रेगुलर क्लास अटेंड की हैं.
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