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झारखंड: वैक्सीन सप्लाई में कमी, बेड, टेस्टिंग की क्या है स्थिति?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तेजी से केसों की रफ्तार बढ़ रही है उसमें सरकारी तैयारियां कम पड़ने का डर है

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राज्य
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देशभर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते प्रतिबंध बढ़ते जा रहे हैं. इसी तरह झारखंड राज्य में भी कोरोना संकट फिर से बढ़ रहा है. अब राज्य सरकार ने कड़ा फैसले लेते हुए 30 अप्रैल तक के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. लेकिन कोविड वैक्सीन की सप्लाई प्रभावित होने की खबरों ने राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन को सतर्क रहने के लिए कहा है. क्विंट ने झारखंड के मौजूदा हालत को समझने के लिए राज्य के चिकित्सा अधिकारियों से बात की और स्थितियों की जानकारी ली. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तेजी से केसों की रफ्तार बढ़ रही है उसमें सरकारी तैयारियां कम पड़ने का डर है.

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वैक्सीनेशन का क्या है हाल

झारखंड में कोविड-वैक्सीनेशन का काम जनवरी में शुरू हुआ था. जानकारी के अनुसार राज्य में 17,25,811 लोगों को कोविड वैक्सीन का कम से कम एक डोज दिया जा चुका है. वहीं 2,74,153 लोग दूसरी वैक्सीन भी ले चुके हैं. अगर पहली वैक्सीन लगने के डेटा को देखें तो झारखंड में लगभग 5.6% लोगों को ही वैक्सीन लगी है. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया करीब दो महीने से चल रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि 3.2 करोड़ की आबादी वाले झारखंड में प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन कब मिलेगी? वैक्सीन की मांग बढ़ते ही इसकी शॉर्टेज की खबरें आने लगी हैं. राज्य के तीन बड़े कोविड वैक्सीन सेंटर जमशेदपुर, रांची और धनबाद में तय आपूर्ति से कम वैक्सीन दी जा रही है.

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वैक्सीन की सप्लाई घटी: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉक्टर गोपाल दास ने क्विंट से बातचीत में कहा कि "हमारे जिले में कुल 10 वैक्सीन सेंटर हैं. हमारा टारगेट दस हजार वैक्सीन प्रतिदिन देने का रहा है. लेकिन आपूर्ति प्रभावित होने के बाद भारी कमी आई है. इस कमी की भरपाई के लिए दूसरे जिलों जैसे पाकुड़, बोकारो, गिरिडीह, दुमका से झारखंड सरकार ने मदद भिजवाई है. वैक्सीनेशन का प्राइवेट सेटअप फिलहाल बंद कर दिया गया है ताकि सरकारी सेंटर में आपूर्ति हो सके."

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हेल्थ संस्था 'सेव लाइफ रांची' के अध्यक्ष अतुल गेरा कहते हैं कि "शुरु में वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी थी लेकिन कोविड बढ़ने की खबर के बीच लोग वैक्सीन लेने के लिए सक्रिय हुए. हम भी गुरुद्वारा कम्पाउंड में वैक्सीन कैम्प चला रहे हैं. कई जगह से वैक्सीन शॉर्टेज की बात सामने आई हैं. मुझे लगता है ये एक लॉजिस्टिक का मुद्दा है. क्योंकि नेशनल लेवल पर जहां से वैक्सीन आ रही हैं, वहां प्रोडक्शन बेहतर है. इसलिए वैक्सीन शॉर्टेज का एक कारण ये भी हो सकता है कि राज्य सरकार को उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी उपलब्ध वैक्सीन की खपत हो जाएगी. वैक्सीन शॉर्टेज का एक दूसरा कारण केंद्र सरकार से कम्यूनिकेशन गैप भी हो सकता है."

कोविड मरीजों के लिए बेड की स्थिति

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के अनुसार मौजूदा स्थिति में राज्य का रिकवरी रेट 94.52% है, जबकि मृत्यु दर 0.88% है. राज्य में कोविड बेड की संख्या 15813 है जिसमें नार्मल बेड 2766 हैं, वहीं ऑक्सीजन बेड 2307 हैं. ICU बेड की संख्या 707 है और कोविड बेड की संख्या 9384 है. "हम कोविड की दूसरी लहर से लड़ने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं. ये इंतजाम 31 अगस्त 2020 के दिन भी थे, जब झारखंड में कोरोना जोर पर था. उस समय राज्यभर में 3000 से अधिक केस एक दिन में आये थे."

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि 'हमने 2-3 दिनों में पांच हजार बेड का इंतजाम करने का निर्देश दिया है.'

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ऐसे में सवाल उठता है कि पिछली लहर के पीक टाइम की तरह अगर झारखंड में 3000 प्रतिदिन केस आते हैं तब क्या हालात होंगे? क्या इतने बेड काफी होंगे? दरअसल 31 अगस्त के दिन झारखंड में 3218 नए केस आए थे. जो कमोबेश सितंबर के दूसरे हफ्ते तक चले.

तेजी से संक्रमित कर रहा नया स्ट्रेन

रांची स्थित सदर अस्पताल के डॉक्टर रचित भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि "कोविड के नए स्ट्रेन को म्यूटेंट स्ट्रेन कहते हैं. पिछले कोविड की तुलना में इसमें इन्फेक्टिविटी ज्यादा है. यानी एक संक्रमित से 8 आदमी संक्रमित हो सकते हैं. अधिकांश लोग दस दिन दवा लेकर ठीक हो जा रहे हैं. ऐसे लोगों को बेड वगैरह की जरूरत नहीं है. वह घर पर रह कर आइसोलेट हो सकते हैं. इन लोगों के लिए बेड की जरूरत नहीं है. लेकिन जिन लोगों को दूसरी बीमारी है उन लोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है. जिसके लिए बेड लगेंगे."

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स्लो टेस्टिंग, स्लो ट्रेसिंग, कम बेड है बड़ा मुद्दा: बीजेपी

झारखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मानते हैं कि "जब कोविड कम हुआ तो स्टेट गवर्नमेंट ने कोविड बेड कम कर लिए. यह सबसे बड़ी गलती थी. अब स्वास्थ्य मंत्री जी बेड 5 हजार क्या दस हजार कर दें, उससे क्या फर्क पड़ता है? जब आप ट्रेंड टेक्नीशियन से लेकर डॉक्टर नहीं देंगे तो फिर इलाज कैसे होगा? मेरी नजर में स्लो टेस्टिंग बड़ा मसला है. सबसे ज्यादा कोविड केस जब महाराष्ट्र में थे तो वहां से आने वाली ट्रेनों के यात्रियों की जांच रेलवे स्टेशन पर होनी चाहिए थी."

“आज झारखंड में वैक्सीनेशन की हालत क्या है आप इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि राज्य की राजधानी रांची के सदर अस्पताल में वैक्सीन खत्म हो गई है और लोग लाइन में लगे हुए हैं. अब सोचने की बात है कि राजधानी का ये हाल है तो राज्य भर का क्या हाल होगा. सरकार ये डेटा क्यों नहीं दे रही कि वैक्सीन के लिए झारखंड में जो योग्य लोग हैं उनमें कितने प्रतिशत लोगों को वैक्सीन दी गई है?”
कुनाल सारंगी, प्रवक्ता, बीजेपी
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कोविड सेंटर में मैन पावर की कमी

हेल्थ एक्टिविस्ट अतुल गेरा कहते हैं कि "बड़ी इमारत को आप अस्पताल तब तक नहीं कह सकते जब तक कि उसमें पर्याप्त हेल्थ वर्कर्स नहीं होते. आज हालात यह हैं कि बेड से लेकर दवाओं की शॉर्टेज हो रही है. सरकार ने पिछले एक वर्ष में कुछ नहीं सीखा. सरकार कहती है कि उनके पास बहुत पैसा है तो फिर मैनपावर बढ़ा कर अस्पतालों में हेल्थवर्कर की कमी क्यों नहीं दूर कर रहे?"

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रांची के डॉक्टर देवेश कुमार बताते हैं कि "जिस रफ्तार से कोविड बढ़ रहा है उसे देखते हुए मैं कह सकता हूं कि चार से पांच दिनों में अस्पतालों के बेड घटने लगेंगे. पिछली लहर के समय रुटीन सर्जरी नहीं हो रही थीं. सिर्फ इमरजेंसी पेशेंट ही लिए जा रहे थे, इस कारण मैन पावर की कमी नहीं थी. लेकिन अब रुटीन सर्जरी से लेकर रूटीन ट्रीटमेंट कोविड ट्रीटमेंट साथ-साथ चल रहे हैं. ऐसे में मैन पावर की कमी अच्छे संकेत नहीं हैं"

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झारखंड में कोरोना की स्थिति

झारखंड सरकार के कोविड बुलेटिन के अनुसार 7 अप्रैल तक 60,20,500 सैंपल टेस्ट होने के बाद कुल 1,30,908 केस पॉजिटिव मिले हैं. कोरोना की वजह से राज्य में 1151 मौतें हो चुकी हैं. जबकि अभी तक कोविड के 7872 केस सक्रिय हैं.

हेल्थ एक्टिविस्ट अतुल गेरा का दूसरी लहर को लेकर मानना है कि "कोविड के प्राइवेट अस्पातलों में इलाज के चार्ज की मॉनिटरिंग राज्य सरकार को करनी चाहिए. मैं पर्सनली कितने लोगों को जानता हूं जिन्हें सरकारी अस्पताल में जगह न मिलने पर उन्हें प्राइवेट अस्पताल में एडमिट होना पड़ा. जिसका चार्ज अदा करने के लिए उन लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी."

ये तब हुआ जब राज्य सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों द्वारा चार्ज वसूलने के लिए गाइडलाइन जारी की थीं. लेकिन गाइडलाइन जारी होने के बाद उसकी मॉनिटरिंग नहीं हुई और प्राइवेट अस्पतालों ने मनमानी रकम वसूली. जिसकी लिखित शिकायत हमने स्वास्थ्य मंत्री से की. लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. अब फिर एक बार वैसे हालात बन रहे हैं जब लोग मजबूरीवश प्राइवेट अस्पताल जाएंगे.
अतुल गेरा, हेल्थ एक्टिविस्ट
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स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का कहना है कि "राज्य के पास फिलहाल पौने दो लाख वैक्सीन हैं. जबकि डॉक्टर हर्षवर्धन जी से कल हमने झारखंड के लिए दस लाख वैक्सीन मांगीं हैं. इतनी संख्या में वैक्सीन आने के बाद राज्य में वैक्सीनेशन की स्थिति बदलेगी. ऐसी उम्मीद है"

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