बीजेपी के पश्चिम बंगाल के इनचार्ज, कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार जनवरी से संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देनी शुरू कर सकती है. विजयवर्गीय ने एक बार फिर बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि टीएमसी सरकार शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति नहीं रखती.
नॉर्थ 24 परगना में पार्टी के "और नोय अन्याय" अभियान के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि शरणार्थियों को CAA के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया अगले साल जनवरी से शुरू हो सकती है." विजयवर्गीय ने आगे कहा कि केंद्र ने पड़ोसी देशों से आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने के सच्चे इरादे से CAA को पारित किया है.
टीएमसी पर हमला बोलते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि ये सरकार राज्य की केवल 30 फीसदी आबादी की परवाह करती है, और बाती 70 फीसदी की इसे चिंता नहीं है. बीजेपी नेता ने कहा, “हमारी सरकार पूरी 100 फीसदी का खयाल रखेगी, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं- सह का साथ सब का विकास.”
विवादित CAA पिछले साल दिसंबर में पास किया गया था. इस कानून के तहत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी. इस कानून में मुस्लिम शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है, जिसे लेकर लगातार सरकार की आलोचना हो रही है.
विजयवर्गीय के बयान पर टीएमसी नेता और राज्य सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने कड़ी आपत्ति जताई है. हकीम ने कहा कि बीजेपी पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने पूछा, “नागरिकता से बीजेपी का क्या मतलब है? अगर मटुआ नागरिक नहीं हैं, तो वो सालों से विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कैसे वोट देते आ रहे हैं?”
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश से ताल्लुक रखने वाले मटुआ लोगों ने 1950 में धार्मिक प्रताड़ना के बाद पश्चिम बंगाल में शरण लेना शुरू किया था. बंगाल में मटुआ समुदाय की आबादी करीब 30 लाख के करीब है और 30 से 40 विधानसभा सीटों पर इनका प्रभाव है.
पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी शरणार्थियों को रिझाने की कोशिश में है.
(द इंडियन एक्सप्रेस के इनपुट्स के साथ)
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