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उत्तर प्रदेश: कानपुर में ब्लड चढ़ाने के बाद 14 बच्चों को हुआ हेपेटाइटिस और HIV

Kanpur 14 children detected hepatitis & HIV: सभी पीड़ित बच्चे नाबालिग हैं और उनकी उम्र 6 से 16 साल के बीच है.

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उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां शहर स्थित लाला लाजपत राय चिकित्सालय में ब्लड चढ़ाने के बाद 14 बच्चों में हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी (HIV) जैसे संक्रमण की पुष्टि हुई है. हालांकि, ये आकंड़ा पिछले दस सालों का है.

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सभी पीड़ित बच्चे नाबालिग

जानकारी के अनुसार,180 मरीज थैलासीमिया से पीड़ित हैं. इसमें वो 14 बच्चे भी शामिल हैं और इनकी उम्र 6 से 16 साल के बीच है. बताया जा रहा है कि पीड़ित बच्चे कानपुर शहर, देहात, फर्रुखाबाद, औरैया, इटावा और कन्नौज समेत अन्य जिलों के रहने वाले हैं. जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारी वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत संक्रमण की जड़ का पता लगाएंगे.

Kanpur 14 children detected hepatitis & HIV: सभी पीड़ित बच्चे नाबालिग हैं और उनकी उम्र 6 से 16 साल के बीच है.

कानपुर का लाला लाजपत राय चिकित्सालय.

(फोटो: स्क्रीनशॉट फ्रॉम वीडियो)

इस पूरे मामले पर लाला लाजपत राय चिकित्सालय (LLRH) में बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ.अरुण आर्य ने कहा, "यह सरकारी अस्पताल के लिए चिंता का कारण है क्योंकि ये ब्लड डोनेशन और उसके बगैर संक्रमण के रोगियों तक चढ़ाने की प्रक्रिया में खामियों को दर्शाता है."

Kanpur 14 children detected hepatitis & HIV: सभी पीड़ित बच्चे नाबालिग हैं और उनकी उम्र 6 से 16 साल के बीच है.

डॉ.अरुण आर्य

(फोटो: स्क्रीनशॉट फ्रॉम वीडियो)

हमारे यहां थैलासीमिया डे सेंटर चल रहे हैं, उनको आठ से दस साल हो गये हैं. थैलासीमिया पीड़ित बच्चों को प्रति तीन से चार सप्ताह में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है. ऐसे में इन बच्चों को एक साल में 16 से 24 बार खून चढ़ाना पड़ता है.
डॉ.अरुण आर्य, हेड, बाल रोग विभाग, LLR हॉस्पिटल

"पिछले दस साल का आंकड़ा"

उन्होंने आगे कहा, "हालांकि खून चढ़ाने के वक्त ये रिस्क रहता है कि इससे संबंधित संक्रमण, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, एचआईवी और मेलेरिया, का खतरा रहता है. हमारे पास जो अब तक पिछले आठ से दस साल का डेटा है, उसके मुताबिक दो में हेपेटाइटिस बी, आठ में हेपेटाइटिस सी और दो में एचआईवी की पुष्टि हुई है. ऐसा नहीं है कि ये बच्चे पिछले महीने में पीड़ित हुए हैं, बल्कि ये आंकड़े पिछले दस सालों के हैं."

Kanpur 14 children detected hepatitis & HIV: सभी पीड़ित बच्चे नाबालिग हैं और उनकी उम्र 6 से 16 साल के बीच है.

लाजपत राय चिकित्सालय का बाल रोग विभाग.

(फोटो: स्क्रीनशॉट फ्रॉम वीडियो)

डॉ.अरुण आर्य ने कहा, "हम तीन से छह महीने में रूटीन स्क्रीनिंग कराते हैं ताकि हमें संक्रमण के बारे में पता चल जाए." उन्होंने कहा कि ट्रांसफ्यूजन के समय, डॉक्टरों को बच्चों को हेपेटाइटिस बी का टीका भी लगाना चाहिए था.

डॉक्टर ने स्वीकार किया कि थैलासीमिया, जिसके लिए सबसे पहले खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है, के अलावा अब बच्चों को अधिक जोखिम का सामना करना पड़ रहा है.

(इनपुट-विवेक मिश्रा)

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