कर्नाटक के चामराजनगर जिले के एक अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई में परेशानी आने से 24 कोविड मरीजों की जान चली गई. जिले के चामराजनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CIMS) में 3 मई की सुबह मेडिकल ऑक्सीज की सप्लाई में दिक्कत आने से वेंटीलेटर सपोर्ट पर 24 कोरोना वायरस मरीजों की मौत हो गई. इससे कुछ दिन पहले ही कालबुर्गी के एक प्राइवेट अस्पताल में दो मरीजों की मौत हो गई थी.
कर्नाटक के अलावा दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल में 12 मरीजों ने ऑक्सीजन नहीं मिलने पर दम तोड़ दिया, वहीं मध्य प्रदेश और हरियाणा में भी ऑक्सीजन की कमी के चलते कई मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं.
TNM से बात करते हुए CIMS के डायरेक्टर, डॉ. जीएम संजीव ने बताया,
“रात 12 से 2 बजे के बीच, ऑक्सीजन की कमी के कारण, इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर्स पर जो मरीज थे, जिन्हें हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत थी, उनकी मौत हो गई. मरने वाले 24 मरीजों में, 18 को-मोर्बिड थे और लंबी बीमारी थी. अभी हम रोजाना 350 सिलेंडर ले रहे हैं, रोजाना 35-40 सिलेंडर ज्यादा, और हमारे वेंडर्स हमारी मांग को मैच नहीं कर पा रहे हैं. सप्लाई में देरी से हमें ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है.”
डायरेक्टर ने बताया कि वो बल्लारी और बेंगलुरु से लिक्विड ऑक्सीजन पर निर्भर हैं, क्योंकि यहां ऑक्सीजन का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा, “लेकिन सिलेंडर को रीफिल करने के लिए, हमें मैसुरू के प्राइवेट वेंडर्स पर निर्भर होना पड़ता है. अगर हमारे जिले में बॉटलिंग प्लांट होता, तो इस समस्या का हल हो जाता और हमें मैसुरू या दूसरे जिलों पर रीफिल के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ता.”
डॉ. संजीव ने कहा कि मैसूर मेडिकल कॉलेज से आधी रात को भेजे गए 50 सिलेंडर गंभीर रोगियों के लिए जरूरी हाई प्रेशर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं थे.
देशभर में ऑक्सीजन की किल्लत
ऑक्सीजन की कमी की खबरें केवल कर्नाटक तक ही सीमित नहीं हैं. देश के सभी बड़े राज्य कोरोना महामारी के साथ-साथ ऑक्सीजन की किल्लत से भी जूझ रहे हैं. हालात ये हैं कि बड़े-बड़े अस्पताल तक कुछ-कुछ घंटों के ऑक्सीजन पर चल रहे हैं और कमी पड़ने पर मदद की गुहार के लिए सोशल मीडिया और हाईकोर्ट का सहारा ले रहे है. इसके चलते अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है.
दिल्ली
दिल्ली में 1 मई को ऑक्सीजन की कमी के चलते बत्रा अस्पताल में 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई. मृतकों में एक अस्पताल के एक डॉक्टर भी शामिल थे. सभी मरीज अस्पताल की आईसीयू यूनिट में भर्ती थे. इस हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी का ये एक हफ्ते के अंदर दूसरा मामला है.
23 अप्रैल को सर गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत हो गई थी. इससे ठीक पहले अस्पताल ने कहा था कि उनके पास केवल 2 घंटे का ऑक्सीजन है और 60 मरीजों की जान खतरे में है. इन मौतों की वजह भी ऑक्सीजन की कमी को माना गया, लेकिन बाद में अस्पताल ने कहा था कि मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई, बल्कि मरीजों की हालत काफी गंभीर थी.
हरियाणा
हरियाणा के गुरुग्राम के एक प्राइवेट अस्पताल में 1 मई की सुबह पांच कोविड मरीजों की मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि मौतें ऑक्सीजन की कम सप्लाई और डॉक्टरों की लापरवाही के कारण हुई है. पुलिस ने हालांकि परिजनों के आरोप को नकारते हुए कहा कि शुक्रवार रात और शनिवार सुबह ही अस्पताल में ऑक्सीजन भेजा गया था.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के भरवानी के जिला अस्पताल में शनिवार को चार कोविड मरीजों की मौत हो गई. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, परिजनों ने मौत के पीछे ऑक्सीजन की कमी का कारण बताया है. वहीं, जिला प्रशासन का कहना है कि केवल एक शख्स की मौत हुई है, वो भी कार्डियक अरेस्ट से.
शहडोल के मेडिकल कॉलेज में 18 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी के चलते 12 लोगों की मौत हो गई. परिजनों ने आरोप लगाया था कि मरीजों को ऑक्सीजन का सही दबाव नहीं मिला था.
वहीं, 19 अप्रैल को भोपाल के सरकारी मेडकिल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 6 मरीजों की मौत हो गई.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)