कर्नाटक के बेलगावी में पिछले हफ्ते एक कोबरा कमांडो के साथ पुलिसकर्मियों की कथित हाथापाई का मामला सामने आया था. CRPF के इस कमांडों को हथकड़ी लगाने की भी बात सामने आई जिसके बार CRPF ने कर्नाटक पुलिस के डीजीपी के सामने ये मामला उठाया था और अब डीजीपी प्रवीण सूद ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये फैसला गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के आदेश पर लिया गया है.
ताजा खबरों के मुताबिक, अब कमाडों को बेल मिल चुकी है.
CRPF ने DGP को लिखा लेटर
बता दें कि CRPF ने ने इस मामले के लिए एक टीम भी भेजी है. सीआरपीएफ ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रवीण सूद को एक पत्र लिखकर कहा था कि ‘‘23 अप्रैल को बेलगावी जिले में जवान की गिरफ्तारी से पहले राज्य पुलिस ने अगर सीआरपीएफ वरिष्ठ अधिकारियों को विश्वास में लिया होता तो अप्रिय स्थिति से बचा जा सकता था.’’
अर्धसैनिक बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ‘‘सीआरपीएफ जवान के खिलाफ पुलिस की अत्याचारपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ सीआरपीएफ जवाबी प्राथमिकी दर्ज कराने पर विचार कर रही है.’’
पीड़ित कमांडो का नाम सचिन सांवत है
सीआरपीएफ के लेटर में कहा गया है कि
‘‘जिले के इक्सांबा गांव में कोविड-19 लॉकडाउन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा कमांडो सचिन सावंत के साथ मारपीट की गई, दुर्व्यवहार किया गया, उसे नंगे पैर थाने तक ले जाया गया, जंजीरों और हथकड़ियों में रखा गया.’’
एक स्थानीय व्यक्ति ने कुछ दूरी से मोबाइल फोन से एक वीडियो बनाया है. इसमें देखा जा सकता है कि सादे कपड़े पहने कमांडो और दो पुलिसकर्मियों के बीच बहस होती है और उसके बाद उनके बीच मारपीट होती है. कोबरा कमांडो छुट्टी पर अपने गृह नगर आया हुआ था.
पुलिस की दलील- 'सावंत ने मास्क नहीं पहना था'
सीआरपीएफ के अनुसार राज्य पुलिस ने उन्हें जानकारी दी कि सावंत अपनी बाइक धोने के लिए अपने घर के बाहर था और उसने ‘‘मास्क नहीं पहन रखा था’’ और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उससे पूछा कि उसने मास्क क्यों नहीं पहना है.
पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि कमांडो ने बीट कांस्टेबल और उसके साथ मौजूद एक अन्य पुलिसकर्मी के साथ ‘‘बहस की’’ और उनके साथ ‘‘मारपीट’’ की.
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने इसका यह कहते हुए विरोध किया कि जवान ने पुलिसकर्मियों को बताया कि उसने मास्क इसलिए नहीं पहना है क्योंकि वह अपने घर के ठीक बाहर ही था.
'क्या कमांडों के साथ व्यवहार का ये तरीका जायज है?'
इस घटना के कारण अर्धसैनिक बल के अधिकारियों में आक्रोश है. उन्होंने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है और सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग की है. सीआरपीएफ ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि वीडियो की जांच के बाद "यह स्पष्ट है कि पुलिसकर्मियों का आचरण नागरिक केंद्रित नहीं था."
सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि कमांडो ने पुलिस को बताया कि वह भी उनकी तरह ही एक पुलिसकर्मी है और अपनी जिम्मेदारियों को जानता है. वह बहस समाप्त करके अपने घर के अंदर वापस जाने के लिए सहमत हो गया लेकिन तभी पुलिसकर्मियों ने उसे धक्का दिया और उस पर लाठी बरसायी जिससे दोनों पक्षों के बीच मारपीट हुई.
पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कमांडो को आईपीसी और महामारी रोग अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है और फिलहाल वह स्थानीय सदलगा पुलिस थाने में न्यायिक हिरासत में है.
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल है जो सीआरपीएफ अधिकारियों के पास भी उपलब्ध है. इसमें सावंत को हथकड़ी लगा दिखाया गया है और दावा किया गया है कि यह स्थानीय पुलिस थाने की है.
‘‘क्या बल के कमांडो के साथ व्यवहार का यही तरीका है? जवान को हथकड़ी और जंजीर लगाकर उससे एक खूंखार अपराधी की तरह व्यवहार किया गया, जो किसी भी मामले में व्यक्ति पर लगाए जाने के लिए अस्वीकृत है.’’सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी
कमांडो कोबरा की 207वीं बटालियन में तैनात है. यह इकाई वर्तमान में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए तैनात है.
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