कोरोना वैक्सीन की खरीद और मुफ्त वितरण को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पश्चिम बंगाल, राजस्थान, दिल्ली समेत 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेटर लिखा है. इस लेटर में विजयन ने राज्यों से अपील की है कि वो कोरोना से लड़ने के लिए संयुक्त कोशिशों को आगे बढ़ाएं और केंद्र सरकार से जरूरी वैक्सीन की खरीद की मांग करें. साथ ही ये भी कहें कि वैक्सीनेशन फ्री में कराया जाना चाहिए.
पिनराई विजयन ने लिखा वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्यों के दायरे में आती है, ऐसा बयान आना को-ऑपरेटिव फेडरल सिस्टम के आधार को ही खारिज कर देता है. ऐसे में समय की जरूरत है कि केंद्र से अपनी मांग रखी जाए.
केरल के सीएम ने ये लेटर- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र को लिखा है.
केंद्र जिम्मेदारी से बचने की कोशिश में है- विजयन
केरल के मुख्यमंत्री ने लिखा है कि एक तरफ देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा दिख रहा है कि केंद्र सरकार राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन मुहैया कराने की अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रही है. दूसरी लहर का प्रभाव हद से ज्यादा खतरनाक रहा है, जिसने सभी को खतरे की स्थिति में डाल दिया है.
अब एक्सपर्ट कोरोना की तीसरी लहर की भी आशंका जता चुके हैं, ऐसे में उससे निपटने के लिए तैयारी और सतर्कता की जरूरत है. अगर ऐसी स्थिति में वैक्सीन की खरीद का पूरा बोझ राज्यों पर डाला जाता है तो राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी. और एक मजबूत फेडरल सिस्टम के लिए राज्यों की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होनी चाहिए, नहीं तो ये लोकतंत्र के लिए सही नहीं होगा.लेटर में मुख्यमंत्री विजयन
उन्होंने लिखा है, राज्यों की ऐसी स्थिति से हर्ड इम्यूनिटी को डेवलप करने में भी दिक्कत आएघी. क्योंकि हर्ड इम्यूनिटी तब ही प्रभावी होगी जब एक बड़ी आबादी का वैक्सीनेशन हो जाए. आंकड़ों के मुताबिक, अबतक 3.1 फीसदी लोगों को ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज मिल सकी है.
वैक्सीन कंपनियां अपने फायदे में जुटी हुईं हैं- विजयन
विजयन ने आगे लिखा है कि वैक्सीन कंपनियां स्थिति का फायदा उठाते हुए अपने वित्तीय लाभ तलाशने में जुटी हुई हैं. ये मैन्युफेक्चरर कंपनियां वैक्सीन खरीद के लिए राज्यों के साथ समझौता करने को तैयार नहीं हैं. वहीं भारत के पास पब्लिक सेक्टर में फार्मास्युटिकल कंपनियां हैं जो वैक्सीन के प्रोडक्शन में सक्षम हैं. भारत सरकार को जरूरी कदम उठाते हुए ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वैक्सीन प्रोडक्शन के रास्ते में इंटलेक्चुअल प्रॉप्टी राइट और पेटेंट लॉ न आएं.
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