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बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के लिए जेल में पहुंचे दो ‘सेवक’? 

पुलिस के दावों से बन रही है एक रोचक कहानी, SUV का मालिक 10 हजार की छिनैती में जेल कैसे पहुंचा

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चारा घोटाले के एक मामले में जेल की सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. लालू के जेल पहुंचने से पहले उनके दो 'सेवकों' को जेल पहुंचाने के मामले को पहली नजर में सही पाए जाने पर बिहार में सियासत गरमा गई है.

बीजेपी जहां लालू को 'सामंतवादी' बता रही है, वहीं जेडीयू इस मामले को लेकर लालू पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने और दोषी पुलिसकर्मियों पर तत्कल कार्रवाई की मांग कर रही है.

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‘फर्जी मामले में सरेंडर’

लालू के जेल जाने से पहले रांची के लोअर बाजार थाने में सुमित यादव नाम के एक शख्स ने 23 दिसंबर को मदन और लक्ष्मण के खिलाफ मारपीट और 10 हजार रुपये की छीनने के आरोप के साथ एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसी मामले में दोनों कथित आरोपियों को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया. बता दें कि साल 2013 में लालू प्रसाद जब जेल गए थे तब भी मदन एक पुराने मामले में आत्मसमर्पण कर जेल पहुंच गया था.

बीजेपी, जेडीयू लालू पर हमलावर

बीजेपी नेता और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि लालू को अब जेल में सजा काटने के लिए भी गरीब के बेटों की सेवा चाहिए. सुशील मोदी ने कहा, "गरीबों को धोखा देकर मुख्यमंत्री बनने वाले लालू प्रसाद ने गरीबों के लिए बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम तो नहीं किया, लेकिन अपनी सात पीढ़ियों के लिए संपत्ति जुटाने के लिए घोटाले जरूर किए."
जेडीयू के प्रवक्ता और विधानपरिषद सदस्य नीरज कुमार ने कहा कि लालू प्रसाद को सिर्फ अपने से मतलब है. उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए दो गरीब कार्यकर्ताओं को जेल तक पहुंचा दिया.

आरजेडी ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

हालांकि, आरजेडी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है कि ये दोनों लालू के सहयोगी हैं. पार्टी की तरफ से कहा गया है कि ये केवल पार्टी कार्यकर्ता हैं. आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव के मुताबिक, पुलिस को इस बात की जांच करनी चाहिए कि दोनों जेल कैसे गए. उन्होंने कहा कि आरजेडी सुप्रीमो ने कभी किसी को जेल जाने के लिए नहीं कहा.

रोचक हैं दावे

पुलिस के दावों के मुताबिक, जेल में बंद मदन यादव की आर्थिक स्थिति अच्छी है, मदन दो गोशाला, एक घर और एसयूवी का मालिक है. रांची में उसके जानने वालों का कहना है कि उसे चोरी करने की जरूरत नहीं है.

दरअसल ये सारा वाकया 23 दिसंबर का है. जिस दिन लालू यादव को कोर्ट में दोषी ठहराया गया था, उसी दिन सुमित नामक शख्स ने मदन और लक्ष्मण के खिलाफ केस दर्ज कराया. उसके कुछ देर बाद ही दोनों ने सरेंडर कर दिया.

पुलिस को इस बात की खबर मिली है कि लालू यादव जब भी रांची आते थे. मदन उनकी सेवा में रहता था. खबरों के मुताबिक, लक्ष्मण यादव भी पहले लालू का रसोईया रह चुका है. अब ऐसे में पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है कि चोरी का वो मामला सही है या फर्जी.

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