Loksabha Election 2024: झारखंड (Jharkhand) की 14 में से पांच लोकसभा सीटों पर इस बार निर्दलीय प्रत्याशी बड़ा फैक्टर हैं. मैदान में उनकी मौजूदगी से मुकाबले में दिलचस्प कोण बनते दिख रहे हैं. ये सीटें हैं- लोहरदगा, चतरा, राजमहल, गिरिडीह और कोडरमा. इन सीटों पर कद्दावर निर्दलीय नेता इंडिया गठबंधन के वोटों में सीधे तौर पर सेंध लगा सकते हैं.
अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासी के लिए आरक्षित लोहरदगा सीट पर इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस के सुखदेव भगत (Sukhdeo Bhagat) को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. लेकिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक चमरा लिंडा (Chamra Linda) ने बतौर निर्दलीय पर्चा दाखिल कर सियासी हलचल मचा दी है.
इस सीट पर वह 2004, 2009 और 2014 में भी चुनाव लड़ चुके हैं और हर बार मुकाबले की महत्वपूर्ण धुरी रहे. 2004 में वह 58947 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे. उन्होंने अपने इस पहले चुनाव में ही सबको चौंका दिया था. इसके बाद 2009 के चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे और उन्हें 136345 वोट मिले. यहां विजयी हुए बीजेपी प्रत्याशी सुदर्शन भगत से वह मात्र 8283 मतों के अंतर से पिछड़ गए थे.
इसके बाद वह 2014 में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे और इस बार 118355 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे. 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन, इसके पहले के तीन चुनावों में मिले वोट बताते हैं कि उनका निजी तौर पर यहां एक बड़ा जनाधार है. जाहिर है, उनके मैदान में आने के पहले बीजेपी और कांग्रेस में दिख रही सीधी फाइट ने अब त्रिकोणीय शक्ल ले लिया है.
JMM ने नहीं दी टिकट, इसलिए लिया ऐसा फैसला
इस बार वह इंडिया गठबंधन में जेएमएम की तरफ से उम्मीदवारी का दावा कर रहे थे, लेकिन समझौते में लोहरदगा सीट कांग्रेस के हिस्से आई. चमरा लिंडा का कहना है कि उन्होंने दो साल पहले ही पार्टी को बता दिया था कि वह यहां चुनाव लड़ेंगे. इसके बावजूद सीट कांग्रेस को दे दी गई. ऐसे में उन्हें निर्दलीय चुनाव में उतरना पड़ा है.
चमरा लिंडा का दावा है कि यहां उनकी फाइट सीधे बीजेपी के प्रत्याशी समीर उरांव से होगी. कांग्रेस मुकाबले में कहीं नहीं है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि चमरा लिंडा को नाम वापस ले लेना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.
JMM के बागी विधायक राजमहल सीट का बिगाड़ सकते हैं समीकरण
इसी तरह आदिवासी के लिए आरक्षित राजमहल सीट पर भी जेएमएम के बागी विधायक लोबिन हेंब्रम (Lobin Hembrom) ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. लोबिन हेंब्रम यहां से प्रत्याशी बनाए गए मौजूदा सांसद विजय हांसदा का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस क्षेत्र में हांसदा के खिलाफ जनाक्रोश है. उन्होंने पार्टी को पहले ही इससे अवगत करा दिया था. इसके बावजूद तीसरी बार उन्हें टिकट दे दिया. इसलिए वह यहां निर्दलीय मैदान में उतर रहे हैं.
लोबिन हेंब्रम राजमहल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बोरियो विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. लोबिन हेंब्रम गंवई अंदाज की राजनीति और बेबाक बात रखने के लिए जाने जाते हैं. 1995 में जेएमएम ने विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया था तो वह निर्दलीय से उतर आए थे और जीत भी हासिल की थी. ऐसे में इस बार राजमहल सीट पर उनके उतर आने से मुकाबले का समीकरण बदलता दिख रहा है. बीजेपी ने यहां पूर्व विधायक ताला मरांडी को उम्मीदवार बनाया है.
चतरा सीट से RJD नेता निर्दलीय से लड़ेंगे चुनाव
चतरा सीट इंडिया गठबंधन की सीट शेयरिंग में कांग्रेस के हिस्से आई है. पार्टी ने यहां डाल्टनगंज के रहने वाले केएन त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. इस सीट पर आरजेडी की भी मजबूत दावेदारी थी. सीट न मिलने से आरजेडी नेता-कार्यकर्ता नाराज हैं. अब पूर्व मंत्री और कई बार विधायक रहे गिरिनाथ सिंह (Girinath Singh) ने यहां निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. गिरिनाथ सिंह पिछले चुनाव के पहले आरजेडी छोड़कर बीजेपी में चले गए थे.
करीब एक माह पहले उन्होंने फिर से आरजेडी ज्वाइन किया. इसके पहले उनकी मुलाकात आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से हुई. वह आश्वस्त थे कि चतरा सीट आरजेडी को मिलेगी और वे यहां से उम्मीदवार होंगे. गिरिनाथ सिंह ने कहा है कि उन्होंने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ बैठक की. सबकी राय से वह निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं. गिरिनाथ सिंह की गिनती राज्य के कद्दावर नेताओं में होती रही है. उनके मैदान में आने से यहां बीजेपी के कालीचरण सिंह, कांग्रेस के केएन त्रिपाठी के बीच सीधी फाइट के बजाय मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
युवा नेता जयराम महतो गिरिडीह सीट का बदल सकते हैं समीकरण
गिरिडीह में झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति नामक संगठन के चर्चित युवा नेता जयराम महतो (Jairam Mahto) बतौर निर्दलीय मैदान में हैं. झारखंड की भाषा, खतियान और युवाओं की नौकरी के सवाल पर जोरदार आंदोलन की बदौलत वह पिछले चार सालों में राज्य में सबसे बड़े 'क्राउड पुलर' नेता के तौर पर उभरे हैं. जयराम कुर्मी जाति से आते हैं और इस सीट पर यह जाति संख्या बल की वजह से निर्णायक मानी जाती है. यहां एनडीए के घटक दल आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी, जेएमएम के मथुरा महतो के अलावा जयराम चुनावी मुकाबले की तीसरी मजबूत धुरी हैं. उनकी वजह से इस बार यहां चुनाव परिणाम में बड़े उलटफेर की संभावना है.
कोडरमा सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
कोडरमा सीट पर गांडेय क्षेत्र के पूर्व विधायक और जेएमएम नेता प्रो. जयप्रकाश वर्मा (Jai Prakash Verma) ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोंक दी है. उनका कहना है कि पार्टी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि यहां उन्हें इंडिया गठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाएगा. यह सीट गठबंधन में सीपीआई एमएल (CPI (ML)) के पास गई है, जिसने विधायक विनोद सिंह को उम्मीदवार बनाया है. जयप्रकाश वर्मा कोयरी जाति से आते हैं, जिसकी इस लोकसभा क्षेत्र में बड़ी आबादी है. उनके पिता स्व. रीतलाल वर्मा यहां से पांच बार सांसद रहे थे. ऐसे में यहां बीजेपी की अन्नपूर्णा देवी, सीपीआई एमएल के विनोद सिंह और निर्दलीय जयप्रकाश वर्मा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं.
इन पांचों सीटों पर उतर रहे या उतर चुके इन निर्दलीय उम्मीदवारों का ताल्लुक इंडिया गठबंधन की पार्टियों से है. ऐसे में वे सीधे तौर पर इंडिया गठबंधन के वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं.
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