मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में एक बार फिर दबंगों द्वारा एक दलित को घोड़ी नहीं चढ़ने देने का मामला सामने आया है. यहां पर खास बात यह है कि दूल्हा खुद पुलिस में आरक्षक हैं दबंगों के प्रकोप से बचने के लिए पुलिस जवान को पुलिस बुलानी पड़ी.
क्या है पूरा मामला?
मामला छतरपुर जिले के भगवा थाना क्षेत्र के कुंडल्या गांव का है. पुलिस के जवान दयाचंद पिता भागीरथ की शादी का कार्यक्रम था. दया दलित समाज से आते हैं. आरोप है कि जब वे अपनी बारात दुल्हन के घर लेकर जाने की तैयारी कर रहे थे, घर के बाहर घोड़ी भी तैयार थी, तभी दबंगों को जब इसकी जानकारी मिली तो दूल्हा बने दयाचंद को घोड़ी पर चढ़ने से रोक दिया गया. मामला बढ़ने पर दूल्हे के परिजनों ने पुलिस और प्रशासन को इसकी सूचना दी.
दुल्हे का कहना है कि उनके गांव की परंपरा रही है कि दलित समाज के लोगों को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता और अगर कोई परंपरा तोड़ता है तो वो ऐसा नहीं होने देते. उन्होंने आगे बताया कि बारात निकालते समय कुछ सवर्ण जाति के लोगों ने आ कर घोड़ी चढ़ने से मना कर दिया.
दुल्हे ने आगे कहा कि "अभी तो पुलिस तैनात है लेकिन इनके जाने के बाद ही पता चलेगा कि आगे क्या होता है."
इसके बाद पुलिस सुरक्षा के बीच दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर बारात ले गए. दूल्हा बने पुलिस के जवान ने कहा कि रात के समय तो बारात निकलने के दौरान सवर्ण समाज के लोगों ने घोड़ी चढ़ने से रोक दिया था. डीजे भी वापस करवा दिया था.
इस बारे में राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि "जब विषय संज्ञान में आया तब पता चला कि बात बरात रोकने की नहीं थी वो शादी कि कोई पुरानी रस्म थी, कल बारात आराम से निकली शादी ठीक तरह से संपन्न हो गई."
(इनपुट- इज़हार हसन खान)
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