मध्य प्रदेश की सिंगरौली पुलिस और प्रशासन की टीम ने 7 बाल मजदूरों और उनके परिवार के चेहरों पर वापस मुस्कान लौटा दी है. सिंगरौली जिले के सरई इलाके के 7 लड़कों को एक लोकल एजेंट अपने साथ महाराष्ट्र के अहमदनगर में ले गया था, जहां उन्हें बंधक बनाकर काम कराया जा रहा था. लड़कों को उनके परिवार वालों से मोबाइल पर बात करने की भी इजाजत नहीं थी, जिसके बाद एक लड़के के पिता ने थाने में इसकी जानकारी दी, सूचना मिलने के बाद पुलिस ने महाराष्ट्र के अहमदनगर में बंधक बनाकर रखे गए 7 बाल मजदूरों को मुक्त कराया और परिजनों के पास ले आई.
क्या है पूरा मामला?
सिंगरौली जिले के सरई थाना क्षेत्र निवासी, श्यामबिहारी जायसवाल ने पुलिस थाने में लिखित आवेदन दिया. उन्होनें शिकायत में बताया कि महाराष्ट्र के अहमदनगर में उनके बच्चे को श्रमिक के रूप में काम करने के लिए ठेकेदार हंसलाल जायसवाल ले गया था, और उसे महाराष्ट्र में बंधुआ मजदूर बनाकर काम कराया जा रहा है. उसे घर पर मोबाइल से बात तक नहीं करने दी जा रही है, जिसके बाद पुलिस टीम महाराष्ट्र के अहमदनगर पहुंची और सभी सात बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर सभी को सकुशल घर वापसी ले आई.
7 बाल श्रमिक हुए थे शिकार
पुलिस के मुताबिक, सिंगरौली जिले के 7 नाबालिग लड़कों को एक एजेंट पैसों का लालच देकर महाराष्ट्र के अहमदनगर में ले गया और अहमदनगर में रिम कंपनी में 500 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी पर सभी को काम दिलाया. लेकिन महीने के अंत में जब बाल मजदूरों ने पैसे मांगे तो उन्हें बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट की गई. फिलहाल पुलिस ने लोकल एजेंट हंसलाल जायसवाल को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, 7 बाल मजदूरों की काउसलिंग करा कर उन्हें परिजनों को सौंप दिया गया है. सभी मजदूरों के सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों ने राहत की सांस ली है.
सिंगरौली एसपी युशूफ कुरैसी ने बताया कि जिले के 7 लड़के थे, जो पैसों की लालसा और लोकल एजेंट के बहकावे में आकर काम करने महाराष्ट्र के अहमदनगर गए थे. वहां ठेकदार इनको बंधक बनाकर काम करवा रहा था, और उन्हें वापस अपने घर आने नहीं दे रहा था. लड़कों के परिजन ने इसकी जानकारी पुलिस को दी, पुलिस टीम द्वारा महाराष्ट्र जाकर बंधक बनाए गए मजदूरों को छुड़ाया गया. उसमें 7 नाबालिग बच्चें थे.वहीं, इस मामले में लोकल एजेंट को गिरफ्तार कर लिया गया है और कंपनी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा.
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