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MP: ड्राइवर से 'औकात' पूछने वाले शाजापुर DM हटाए गए, CM बोले- सभी का सम्मान जरूरी

MP, Shajapur DM Removed: कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने एक वीडियो जारी कर कहा, "मेरा मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था."

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शाजापुर कलेक्टर किशोर कन्याल को हटा दिया गया है. जिलाधिकारी के खिलाफ यह एक्शन ड्राइवर से 'औकात' पूछने वाले बयान को लेकर लिया गया है. इससे पहले डीएम ने एक वीडियो जारी अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था.

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'ऐसी भाषा का प्रयोग करना उचित नहीं'

इस मामले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, "एक अधिकारी का इस तरह की भाषा बोलना उचित नहीं है. ये सरकार गरीबों की सरकार है. ऐसे में चाहें कोई कितना भी बड़ा अधिकारी हो उसे काम का भी सम्मान करना चाहिए और भाव का भी सम्मान करना चाहिए."

'किसी को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं'

वहीं, कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने एक वीडियो जारी कर कहा, "मेरा मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था. वह व्यक्ति तीन जनवरी के बाद मांग नहीं मानने पर किसी भी स्तर तक जाने की बात कर रहा था, जिस पर गुस्सा आया और मैंने कहा कि 'तुम्हारी इतनी औकात है कि तुम शहर की शांति बिगाड़ दोगे'."

जिले में किसी को भी कानून-व्यवस्था को तोड़ने नहीं दिया जायेगा. आमजन की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है और किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था में व्यवधान निर्मित नहीं होने देंगे. कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे.
किशोर कुमार कन्याल, IAS

क्या है पूरा विवाद?

दरअसल, केंद्र सरकार के नए 'हिट एंड रन' (New Hit And Run) कानून के विरोध में मंगलवार (2 जनवरी) को मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में ड्राइवर एसोसिएशन ने उग्र आंदोलन किया था, जिसके बाद जिलाधिकारी किशोर कन्याल ने ड्राइवरों के साथ बैठक की. इस दौरान कलेक्टर ने कहा, "कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं लेगा", सिर्फ इतना ही नहीं वो इतना गुस्से में आ गए कि उन्होंने एक ड्राइवर से उसकी औकात तक पूछ डाली.

इस बात पर ड्राइवर ने कहा कि हम हमारी औकात के लिए ही लड़ाई लड़ रहे हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

ट्रक चालकों के विरोध प्रदर्शन की क्या वजह?

जानकारी के अनुसार, भारतीय दंड संहित (IPC) की जगह आये, भारतीय न्याय संहिता (BNS) कानून के तहत, ऐसे ड्राइवर जो लापरवाही से गाड़ी चलाकर गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनते हैं और पुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना भाग जाते हैं, उन्हें 10 साल तक की सजा या ₹7 लाख का जुर्माना हो सकता है. पहले आईपीसी में ऐसे मामलों में दो साल की सजा थी.

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