क्या महाराष्ट्र की (महा विकास अघाड़ी) एमवीए सरकार अग्निपरीक्षा के लिए है तैयार? ये सवाल महाराष्ट्र की सियासत में इसलिये पूछा जा रहा है, क्योंकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक पत्र लिखा है और इस पत्र से एक बार ठाकरे सरकार की टेंशन में आ सकती है.
हाल ही में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद का इस्तीफा दिया. लेकिन खाली हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की सूचना राज्यपाल ने विधिमंडल सचिव को लिखे खत में की है. जिसकेे के लिए एमवीए सरकार को बहुमत के आंकड़े साबित करनेे की कवायद में जुटना होगा.
महाराष्ट्र में 1 मार्च से बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. 25 फरवरी को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में बजट सत्र का कार्यक्रम तय होगा. जिसके बाद अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीख पर कैबिनेट को निर्णय लेकर राज्यपाल को अवगत कराना होगा. लेकिन पिछले ही हफ्ते राज्यपाल को सरकारी एयरक्राफ्ट मना करने के बाद राज्यपाल और सरकार के बीच का विवाद और गहरा हो गया है.
दरअसल, महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उत्तराखंड जाना था, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देहरादून जाने के लिए मुंबई में कोश्यारी करीब 20 मिनट तक सरकारी विमान में बैठे इंतजार करते रहे, लेकिन महाराष्ट्र सरकार से उसके इस्तेमाल की अनुमति न मिलने के बाद उन्हें उससे उतरना पड़ा. बाद में वह दूसरे विमान से देहरादून गए. हालांकि शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि ‘राज्यपाल का यह दौरा निजी था’, इसलिए नियम के मुताबिक सरकारी विमान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
क्या है राज्यपाल ने लिखे खत के मायने?
पूर्व विधिमंडल सचिव अनंत कलसे ने क्विंट को बताया,
“वैसे तो महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर की पोस्ट किसी भी वजह से खाली होने पर राज्यपाल को चुनाव के लिए विधिमंडल सचिवालय को सूचित करने का अधिकार है. लेकिन बहुमत की सरकार में चुनाव की तारीख तय करने का अंतिम निर्णय तो कैबिनेट ही ले सकता है.
लेकिन पहले हफ्ते में चुनाव लेने की सूचना के पीछे राज्यपाल और सरकार के बीच रिश्तों में आई खटास साफ तौर पर सामने आ रही है. ऐसे में विपक्ष में बैठी बीजेपी ने भी सरकार की स्थिरता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए है.
विपक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा,
“ठाकरे सरकार स्पीकर के चुनाव से घबरा रही है.”
इस बयान से ऐसा लगता है कि विपक्ष भी इस चुनाव में प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. हालांकि जवाब में डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा है कि, “अगर हम चुनाव से घबराते तो स्पीकर पोस्ट से इस्तीफा ही ना देते.”
क्या है स्पीकर के चुनाव का समीकरण ?
महाराष्ट्र विधिमंडल नियम 6 के मुताबिक असेंबली स्पीकर की पोस्ट के लिए सीक्रेट बैलट यानी गुप्त मतदान का प्रावधान है. तीन पार्टियों की सरकार में फिलहाल 165 से ज्यादा का बहुमत होने का दावा शिवसेना कोटे के मंत्री एकनाथ शिंदे ने किया है. लेकिन 288 की विधानसभा सीटों में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी होकर विपक्ष में बैठी है. साथ ही 10 निर्दलीय मिलाकर 115 तक आंकड़ा जुटाने का बीजेपी का दावा रहा है. सूत्रों की माने तो बीजेपी की तरफ से सीक्रेट बैलट वोटिंग में सत्तारूढ़ पार्टी के असंतुष्ट विधायकों को तोड़ने की पूरी कोशिशें हो सकती है. ऐसे में एमवीए सरकार को बहुमत की अग्निपरीक्षा देनी पड़ सकती है. अगर बीजेपी मैजिक फिगर यानी 144 का आंकड़ा भी नहीं जुटा पाई तो सत्तारूढ़ पार्टी के दावे से एक भी वोट कम आना ठाकरे सरकार की परेशानी बढ़ाने के लिए काफी है.
एमवीए सरकार में अस्वस्थता?
कांग्रेस ने असेंबली स्पीकर के पद का इस्तीफा देने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बयान दिया था. पवार ने कहा, "कांग्रेस के इस्तीफे से अब असेंबली स्पीकर का पद चर्चा के लिए खुला है. सत्तारूढ़ तीनों पार्टियां इसपर बैठकर निर्णय लेंगी. कांग्रेस को ये पद पांच साल के लिए दिया गया था. उन्होंने पद क्यों छोड़ा ये उनके पार्टी के शीर्ष नेतृत्व बता सकते हैं."
जिसके बाद एमवीए सरकार में खटास होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया था. पिछले हफ्ते शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी कांग्रेस के इस कदम पर कटाक्ष किया गया था. सामना में लिखा था कि, "बहुमत का आंकड़ा तो है ही. उसकी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन आघाड़ी सरकार में संभव हो तो संवैधानिक पदों के लिए बार-बार चुनाव टालना सबके हित में होता है. विरोधियों के मेंढक कितने भी फूलें तब भी वे बैल नहीं बनेंगे. ये तो सही है, लेकिन फिर भी किसी को उंगली उठाने या बोलने का मौका क्यों दें?"
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