औरंगाबाद (Aurangabad) के मशहूर बिल्डर और 'क्रेडाई' के कोषाध्यक्ष अनिल महादेवराव अग्रहारकर (Anil Mahadevrao Agraharkar) के सुसाइड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. अग्रहारकर की मौत के पीछे की असल वजह सामने आ गई है. बताया जा रहा है कि 30 करोड़ का दर्ज दिलाने के नाम पर उनसे 68 लाख रुपए वसूले गए थे. लेकिन उन्हें न तो कर्ज मिला और न ही पैसा वापस. जिसके बाद आर्थिक तंगी से परेशान होकर उनकी खुदकुशी से मौत हो गई.
इस मामले में अनिल के भाई दिलीप अग्रहारकर की शिकायत पर जवाहरनगर थाने में प्रापर्टी डीलर भागवत यशवंत चव्हाण के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है.
घर में सुसाइड से हुई मौत
तीन दिन पहले अनिल अग्रहारकर की मित्रविहार सोसाइटी स्थित आवास की ऊपरी मंजिल पर जिम में सुसाइड से मौत हो गई थी. घर की तलाशी के दौरान पुलिस को एक डायरी में सुसाइड नोट मिला था. उसमें कुछ नाम लिखे थे. हालांकि, पहले दिन अग्रहारकर के घरवालों ने किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करवाई थी. वहीं अब इस मामले में उनके भाई ने शिकायत दर्ज करवाई है.
डायरी से खुला मौत का राज
अनिल अग्रहारकर की डायरी एंट्री के मुताबिक, वह 30 करोड़ रुपए का कर्ज लेना चाहते थे. भागवत यशवंत चव्हाण इस कर्ज को चुकाने वाला था. उसने अग्रहारकर से कहा था कि इस पर 70 लाख रुपये खर्च होंगे. अनिल ने चव्हाण को आरटीजीएस और नकद के रूप में 68 लाख रुपए दिए थे.
अक्षय सलामे और महेश गाडेकर ने अग्रहारकर को चव्हाण से मिलवाया था. चूंकि चव्हाण लिया गया पैसा वापस नहीं कर रहा था, अग्रहारकर ने उसके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया. चव्हाण ने उन्हें 30 कर्ज की गारंटी दी थी. इसके लिए उसने इचलकरंजी बैंक के प्रबंधक के साथ अग्रहारकर की बैठक भी आयोजित की थी. उस समय प्रबंधक ने जोर देकर कहा था कि चव्हाण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए क्योंकि उन्हें कर्ज मिल जाएगा.
जानकारी के मुताबिक, चव्हाण चार दिन पहले अग्रहारकर के घर आया था. उस समय उसने 3 करोड़ रुपए नकद और 36 करोड़ रुपयए RTGS के जरिए देने का भी वादा किया था. हालांकि, अग्रहारकर चिंतित थे क्योंकि वह यह कहने के बावजूद पैसे नहीं लौटा रहा था. अंत में इससे परेशान होकर अग्रहारकर ने सुसाइड कर अपनी जान दे दी.
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