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महाराष्ट्र: मॉनसून सत्र का पहला दिन, शुरुआत प्यार भरी, लेकिन अंत में हंगामा

फिर प्यार-मोहब्बत की बातें शुरू होने से पहले ही BJP-शिवसेना में जंग छिड़ गई है

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वीडियो एडिटर- कनिष्क दांगी

महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में 'लव एंड हेट रिलेशनशिप' का कुछ ऐसा दौर चल रहा है कि कौन, कब, किसका हाथ थाम ले और कौन, कब, किसे धोखा दे दे, नहीं बता सकते. ऐसा इसलिए है क्योंकि महाराष्ट्र में शिवसेना बीजेपी के साथ आने की अटकलें तेज होने की खबरों के बीच ठाकरे सरकार ने बीजेपी के 12 विधायकों को एक साल के लिए ससपेंड कर दिया है. और फिर प्यार-मोहब्बत की बातें शुरू होने से पहले ही दोनों में जंग छिड़ गई है.

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पहले आपको ये बताते हैं कि शिवसेना-बीजेपी के पैच अप की चर्चा आखिर शुरू कैसे हुई?

5 जुलाई से महाराष्ट्र में दो दिवसीय मानसून सत्र शुरू हो गया है. वैसे तो सत्र में पहले विपक्ष सत्ताधीशों को घेरने की बातें करती है. लेकिन जब विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया कि क्या बीजेपी और शिवसेना के फासले कम हो रहे है? तो फड़नवीस ने कहा कि

हम दोनों में कभी शत्रुत्व था ही नहीं. हम में सिर्फ वैचारिक मतभेद है. हमारे दोस्त हमारा हाथ छोड़कर गैरोंं का हाथ पकड़कर चले गए. बस इसीलिए मतभेद खड़े हुए है.
देवेंद्र फडणवीस, पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

इसके बाद शिवसेना के नेता संजय राउत ने इस चर्चा को और हवा दे दी. संजय राउत ने तो शिवसेना-बीजेपी के रिश्ते की तुलना सीधे अमीर खान और किरण राव के रिश्ते से कर डाली. राउत ने कहा कि भले ही हमारे रास्ते अलग हो गए हो लेकिन दोस्ती कायम है.

मानसून सत्र के पहले ही दिन मचा घमासान

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शिवसेना-बीजेपी की आंखमिचोली के बीच मानसून सत्र राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के साथ शुरू हुआ. विपक्ष और सत्ताधीश एक दूसरे पर गरजने और बरसने लगे. ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर दोनों तरफ के विधायक एक दूसरे से भिड़ गए. बस यही मौका मिला और सरकार ने दंगाई विधायकों के निलंबन की मांग की. हंगामे के बीच पीठाधीश स्पीकर ने 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया.

हालांकि बीजेपी ने निर्णय का जमकर विरोध किया और कामकाज का बहिष्कार करते हुए वॉक आउट कर दिया. साथ ही विपक्ष की संख्या कम करने के लिए सरकार ने स्ट्रेटेजी के तहत निलंबन करने का भी आरोप लगाया. लेकिन भले ही सदन में नहीं, अभी रास्ते पर लड़ाई जारी रखने की बात विपक्ष ने कही है. ऐसे में फिर एक बार शिवसेना-बीजेपी के बीच जंग छिड़ी गई.
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क्या है निलंबन के मायने ?

तकरीबन एक साल से विधान परिषद में राज्यपाल नियुक्त 12 सदस्यों की जगह खाली पड़ी है. महाविकास आघाड़ी सरकार ने राज्यपाल को 12 लोगों के नाम की सिफारिश की है. लेकिन राज्यपाल ने अभी तक उनकी नियुक्ति का निर्णय नहीं लिया है.

नियम के अनुसार नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल के पास है लेकिन वो करने के लिए कोई समय सीमा का बंधन नही है. ऐसे में राज्यपाल और सरकार के बीच भी नोक झोंक चलते रहती है. इसलिए अब कहा जा रहा है कि बीजेपी के 12 विधायकों का निलंबन करके सरकार ने बड़ा झटका दे दिया है. बता दें कि निलंबन के तुरंत बाद बीजेपी के 12 विधायक राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे. सरकार पर हिटलरशाही का आरोप करते हुए निलंबन की कार्रवाई के खिलाफ शिकायत की.

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