महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को राज्य का अंतरिम बजट पेश किया गया. महाराष्ट्र के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के मुताबिक, साल 2019-20 के लिए 19,784 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का बजट पेश किया गया है. इस बजट में किसानों की कर्जमाफी के लिए विशेष कोष बनाने का प्रावधान भी है.
महाराष्ट्र पर बढ़ा कर्ज का बोझ
साल 2019-20 के लिए पेश किए गए बजट में महाराष्ट्र के वित्तमंत्री ने विधानसभा में ये जानकारी दी कि राज्य पर कुल कर्ज बढ़कर 4 लाख, 14 हजार, 411 करोड़ हो गया है और यह राज्य की जीडीपी का 14.82 फीसदी है.
वित्तमंत्री की मानें, तो इस साल का राजस्व घाटा बजट के कुल आधार के तुलना में कंट्रोल में है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि राज्य की अर्थव्यवस्था ‘मजबूत‘ है.
कृषि के क्षेत्र में किए विशेष आवंटन
महाराष्ट्र सरकार के इस बजट में कृषि के क्षेत्र में कई विभागों में अलग-अलग आवंटन किए गए हैं. सरकार ने सूखाग्रस्त किसानों के लिए इस बार 2000 करोड़ का विशेष प्रावधान किया है.
सूखे से जूझने वाले क्षेत्रों के लिए खासतौर पर मराठवाड़ा और विदर्भ को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस बजट में सिंचाई के लिए 8 हजार 733 करोड़ का प्रावधान किया है.
कृषि के बाद ज्यादा जोर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य पर
महाराष्ट्र सरकार ने कृषि के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी ज्यादा फोकस किया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट के लिए 6 हजार 306 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसमें मोनो मेट्रो भी शामिल है. वहीं सड़कों के विकास के लिए करीब 5 हजार 300 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
जहां तक बात है स्वास्थ्य सेवाओं की, तो इस बजट में नेशनल हेल्थ मिशन के लिए 2 हजार 98 करोड़ रुपये और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के लिए 1 हजार 21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
इस बजट में कौशल विकास के लिए 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इस योजना का नाम बीजेपी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन के नाम पर रखा गया है.
विपक्ष ने बताया भ्रमित करने वाला बजट
महाराष्ट्र के बजट पेश होने के बाद विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल का कहना है कि सरकार ने जो प्रावधान किसानों के लिए किया है वो काफी कम है. साथ ही सरकार ने आंकड़ों के खेल में लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की है.
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