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फोन टैपिंग केस: फडणवीस की CBI जांच की मांग,कहा-'ये संवेदनशील सबूत'

फडणवीस ने आरोप लगाया कि ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कमिश्नर ऑफ इंटेलिजेंस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि उनके पास ट्रांसफर रैकेट के इंटेरसेप्टेड कॉल्स का करीब 6.3 GB डेटा है और इन सबूतों को उन्होंने संवेदनशील किस्म का बताया. फडणवीस ने आरोप लगाया कि ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई और उल्टा कमिश्नर इंटेलिजेंस रश्मि शुक्ला का तबादला कर उन्हें हटाया गया. इन आरोपों पर सफाई देते हुए एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा है कि पूर्व इंटेलिजेंस कमिश्नर बिना मंजूरी के फोन टेप कर रहीं थीं, इसलिए उनका ट्रांसफर किया गया.

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फडणवीस का डीजी रिपोर्ट पर खुलासा

फडणवीस ने कहा कि '2017 में मुझे जानकारी मिली थी कि मुंबई के किसी होटल में पुलिस ट्रांसफर का रैकेट चल रहा था. मैंने पुलिस अधिकारियों को बुलाकर एक ऑपरेशन प्लान किया. कार्रवाई कर सभी को गिरफ्तार किया. इसी तरह कमिश्नर इंटेलिजेंस रश्मि शुक्ला को ऐसे रैकेट का इंटेलिजेंस मिला. उन्होंने ACS होम से इजाजत ली और कॉल इंटरसेप्ट करना शुरू किया. जिसमें कई बड़े नाम सामने आए.'

फडणवीस के मुताबिक '25 अगस्त 2020 को कमिश्नर ऑफ इंटेलिजेंस ने डीजी को रिपोर्ट सौंपी. 26 तारीख को डीजी ने ACS सीताराम कुंटे को रिपोर्ट फारवर्ड की और कहा कि ये पूरा मामला सीएम उद्धव ठाकरे के संज्ञान में लाया जाए और उचित कार्रवाई की जाए.'

सीएम उद्धव ने रिपोर्ट पर नहीं की कोई कार्रवाई: फडणवीस

फडणवीस ने बताया कि- 'सबूत के तौर पर 6.3 GB का डेटा मेरे पास है, जिसमें रिपोर्ट के साथ इंटरसेप्टेड कॉल्स हैं. ये रिपोर्ट सीएम को सौंपी गई. उन्हें उस बारे में ब्रीफ किया गया. लेकिन कार्रवाई होने के बावजूद ये रिपोर्ट गृह मंत्री को भेजा गया.'

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कमिश्नर इंटेलिजेंस का किया तबादला, नहीं दिया प्रमोशन

पूर्व सीएम के मुताबिक 'रिपोर्ट दिए जाने के बाद कमिश्नर इंटेलिजेंस रश्मि शुक्ला का तबादला कर उन्हें हटाया गया. डीजी पद पर प्रमोशन के काबिल होने के बावजूद उनका जूनियर पोस्ट डीजी सिविल डिफेंस पर ट्रांसफर किया गया. जिसके लिए कैबिनेट मंजूरी भी नहीं ली गई. बल्कि उल्टा उन्हीं से पूछा कि उन्हें ऐसा करने के लिए किसने कहा'
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'मेरे पास संवेदनशील सबूत, CBI जांच हो'

फडणवीस ने कहा कि 'मेरे पास इकट्ठा सबूत बहुत संवेदनशील किस्म के हैं. इसमें कई अधिकारियों के नाम शामिल है. ये अधिकारी केंद्र सरकार के अधिकार में आते हैं. उनकी कस्टोडियन केंद्र सरकार है. इसीलिए में दिल्ली के होम सेक्रेटरी को मिलकर उन्हें ये सारी जानकारी दूंगा. और मैं मामले की जांच CBI करने की मांग करने वाला हूं.'

फडणवीस के इन आरोपों को जवाब एनसीपी के प्रवक्ता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने दिया. मलिक ने कहा कि इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने जो रिपोर्ट दी थी वो गैरकानूनी तरीके से फोन इंटरसेप्ट करके बनाई गई थी.

15 से 28 फरवरी के बीच देशमुख कई अधिकारियों से मिले: फडणवीस

फडणवीस ने कहा कि- 'शरद पवार ने किए दावे से लगता कि अनिल देशमुख 15 फरवरी को प्राइवेट जेट से नागपुर से मुम्बई गए. लेकिन पुलिस मेनिफेस्टो के मुताबिक वो 17 फरवरी को 3 बजे सह्याद्रि गेस्ट हाउस जानेवाले थे. 24 फरवरी को 11 बजे मंत्रालय जानेवाले थे. साथ ही परमबीर सिंग के पत्र में एसीपी संजय पाटिल ने कहा है वो गृह मंत्री अनिल देशमुख से फरवरी के अंत मे मिले हैं.'

पूर्व सीएम फडणवीस के मुताबिक- 'मेरी जानकारी के अनुसार 15 से 28 फरवरी अनिल देशमुख कई अधिकारियों से मिले हैं. वो होम क्वारंटीन या आइसोलेशन में नही थे. इसका मतलब राष्ट्रीय स्तर के नेता शरद पवार को गलत जानकारी दी गई और उनसे गलत बातें प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहलवाई गईं.'

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