ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाराष्ट्र: भूस्खलन से हो रही मौतें,पुनर्वास रिपोर्ट पर 10 साल से कोई एक्शन नहीं

किसी भी सरकार ने भूस्खलन को लेकर किए गए सर्वे को गंभीरता से नहीं लिया

Updated
राज्य
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मुंबई में बीते रविवार हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने पांच अलग-अलग दुर्घटनाओं में 32 लोगों की जान ले ली. जिसमें चेंबूर और विक्रोली इलाके में हुए भूस्खलन में 29 लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए. पिछले दो दिनों से मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगड और कोंकण में लगातार बारिश हुई है. इन इलाकों में भी कई जगह भूस्खलन (Landslide) के कारण जानमाल और आर्थिक नुकसान हुआ है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

10 साल में लागू नहीं हुईं सर्वे की सिफारिशें

लेकिन महाराष्ट्र सरकार पिछले दस सालों से एक ऐसी सर्वे रिपोर्ट दबाए बैठी है, जिसमें 9 हजार से ज्यादा परिवारों को पहाड़ों के खतरनाक जगहों से पुनर्वसित करने की सिफारिश की गई है. आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का दावा है कि, 2010 में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के आदेश के बाद हुए व्यापक सर्वेक्षण को लागू किया जाए तो पहाड़ी इलाके में रहने वाले लोगों की मौत रोकी जा सकती है.

मुंबई की 36 में से 25 विधानसभा सीटों पर 257 जगहों को पहाड़ी इलाकों में खतरनाक की श्रेणी में रखा गया है. आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मुंबई स्लम इम्प्रूवमेंट बोर्ड ने राज्य सरकार को प्राथमिकता के आधार पर 22,483 झोपड़ियों में से 9657 झोपड़ियों को स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी.

0

सरकार को पहले से दी थी चेतावनी

पहाड़ियों के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर झोपड़ियों को सुरक्षित करने का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन रविवार को 300 मिमी की मूसलाधार बारिश ने सभी रेकॉर्ड तोड़ दिए. साथ ही चेंबूर के माहुल गांव के पहाड़ पर बनी सुरक्षा दीवार भी टूट गई. जिसके चलते पहाड़ का एक हिस्सा ढह गया और वहां बसी झोपड़ियां उसकी चपेट में आ गईं. अनिल गलगली ने इससे पहले महाराष्ट्र सरकार को मानसून के दौरान 327 जगहों पर भूस्खलन की वजह से हादसे की चेतावनी दी थी.

बता दें कि वर्ष 1992 से 2021 के बीच भूस्खलन के हादसों में 290 लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए. तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 1 सितंबर, 2011 को एक कार्य योजना तैयार करने का आदेश राज्य सरकार के नगरविकास विभाग को दिया था. हालांकि, तब से दस साल बीत चुके हैं, लेकिन नगर विकास विभाग ने अभी भी इस पर काम ही नहीं शुरू किया है. यानी किसी ने भी मुख्यमंत्री के आदेश के अनुसार एक्शन टेकिंग प्लान नहीं बनाया.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुंबई में प्रकल्प बाधितों के पुनर्वसन के सवालों पर आवाज उठाने वाले 'घर बचाओ, घर बनाओ' संगठन से जुड़े एक्टिविस्ट बिलाल खान ने बताया कि, मुंबई में अकेले अंबेडकर नगर, पिंपरीपाड़ा और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में 1997 के हाई कोर्ट आदेश के अनुसार 13,000 परिवारों को पुनर्वास की आवश्यकता है. 2019 में हुए लैंड स्लाइड में यहां 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

रिपोर्ट में पूरी पुर्नवास योजना, लेकिन नहीं हुआ कोई एक्शन

नगर विकास विभाग को सौंपी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री ने सिफारिश की है कि खतरनाक जगहों पर बसी झुग्गियों की पुनर्वास योजना सीनियर अर्बन प्लानर के मदद से बनाई जाए. सरकारी और निजी जमीनों को नोटिफाई करके पात्र झोपड़पट्टी धारकों को जमीन आवंटित की जाए. नगर विकास क्षेत्र की पाबंदियां उठाने के लिये कोर्ट में अर्जी पेश की जाए और संजय गांधी आवास योजना और BMC के तहत निर्माणकार्य शुरू किया जाए. 2011 से तीन सरकारें और मुख्यमंत्री बदले लेकिन निर्देशों का पालन अब तक नहीं हो सका. हालांकि नगर विकास विभाग से इस देरी के बारे में पूछने पर कोई जवाब नही मिल पाया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
दक्षिण मध्य मुंबई के सांसद राहुल शेवाले ने बताया कि, कई बार इन परिवारों को पुनर्वासित करने की सरकार की तरफ से कोशिशें हुई लेकिन लोग या तो नहीं मानते या तो कुछ समय के लिए वहां से भाग जाते हैं. प्रशासन के जाने के बाद फिर से वहां अतिक्रमण कर लेते हैं. लेकिन चेंबूर के हादसे के बाद अब शासन कठोरता से इन निर्देशों का अमल करेगा और पहाड़ी इलाकों का पुनर्विकास करके उसे पर्यटन स्थलों में तब्दील करेगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि चेंबूर के भारत नगर के सामाजिक कार्यकर्ता भीमराव साखरे का कहना है कि, सरकार उन्हें पुनर्वास के नाम पर ऐसी जगहों पर भेज देती है, जो रहने के लायक नहीं होती. मुंबई में ऐसे हजारों परिवार है जिनकी तीसरी पीढ़ी आज भी ट्रांजिट कैम्प में रह रही है लेकिन उन्हें अपने हक का घर नही मिला है. ऐसे कई केसे कोर्ट में चल रहे हैं. इसीलिए सरकार योग्य पुनर्वास की एक व्यापक नीति के तहत हमें स्थानांतरित करे, ये हमारी मांग है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×