कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में 2 महीने से ज्यादा वक्त से पुलिसकर्मियों की तरह वर्दी पहने पुतले 'तैनात' हैं. शुरुआत में इनको व्यस्त जगहों पर रखा गया था, लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ा दी गई. पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर महिलाओं की लगातार आवाजाही वाली जगहों पर भी 'उनकी सुरक्षा के लिए' खाकी वर्दी में इन पुतलों को रखा जा रहा है.
कुछ लोग इस पहल की तारीफ करते दिख रहे हैं, वहीं बाकी अब इसे बेअसर मानकर चल रहे हैं. यहां तक कि पुलिस विभाग के बीच भी इस पहल को लेकर राय बंटी हुई है.
सिटी ज्वाइंट कमिश्नर (ट्रैफिक) बीआर रविकांत गौड़ा ने बताया कि उन्होंने पाया था कि थोड़ी दूर से ट्रैफिक पुलिस को देखने के बाद मोटरसाइकिल सवार हेलमेट लगा लेते हैं, ड्राइवर अपनी सीट बेल्ट लगा लेते हैं और मोबाइल फोन पर बात करना रोक देते हैं. उन्होंने कहा कि यह जानने के बाद मैं इस आइडिया के साथ आगे आया था.
जहां वरिष्ठ अधिकारी इस आइडिया के साथ हैं, वहीं मध्यम स्तर के अधिकारियों में इसे लेकर राय बंटी हुई है.
एक ट्रैफिक अधिकारी ने कहा कि ये पुतले ज्यादा महंगे नहीं हैं, ऐसे में इनकी वजह से कुछ भी अच्छा होता है तो वो बोनस ही है.
वहीं बेंगलुरु के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में पोस्टेड एक सब-इंस्पेक्टर का मानना है कि शुरुआत में ये पुतले चौंका रहे थे, लेकिन वक्त बीतने के साथ लोग इनसे रूबरू होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ''हमें अपराध रोकने से ज्यादा मदद ट्रैफिक मैनेज करने में चाहिए. ये पुतले ऐसा नहीं कर सकते.''
वरिष्ठ नेतृत्व को लगता है कि यह प्रोजेक्ट सफल है. हालांकि एक अधिकारी ने बताया कि इन पुतलों की सुरक्षा भी एक जिम्मेदारी है क्योंकि पिछले साल दिसंबर महीने में फ्रेजर टाउन इलाके से इनमें से एक की चोरी हो गई थी.
बता दें कि देश के कई हिस्सों की तरह बेंगलुरु की पुलिस भी जरूरी संख्याबल की कमी से जूझ रही है.
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