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मराठा आंदोलन को हवा देने वाले मनोज जरांगे पाटिल कौन? कभी होटल में करते थे काम

Manoj Jarange Patil: मनोज जरांगे पाटिल अब प्रदर्शनकारियों के लिए एक कुलदेवता बन गए हैं. NCP प्रमुख शरद पवार सहित वरिष्ठ राजनेता उनसे मिल रहे हैं.

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राज्य
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40 वर्षीय मनोज जरांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करते हुए अनगिनत आंदोलन किए. लेकिन इन पर किसी का ध्यान नहीं गया. हालांकि, इसबार जब पाटिल ने हालिया भूख हड़ताल किया, तो राज्य में उथल-पुथल मचा दी. महाराष्ट्र (Maharashtra) के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई. यही नहीं शुक्रवार को पाटिल के समर्थकों और जालना पुलिस के बीच खूब झड़प भी हुई.

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मनोज जरांगे पाटिल का कांग्रेस से क्या है रिश्ता?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दुबले-पतले शरीर वाले मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से बीड के रहने वाले हैं. अपनी आजीविका के लिए उन्हें जालना के अंबाद आना पड़ा था. यहां उन्होंने एक होटल में काम करके जीवन गुजर-बसर किया.

हालांकि कुछ समय बाद उनके जीवन ने नया मोड़ लिया. पाटिल ने कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें पार्टी से अलग होना पड़ा.

इसके बाद पाटिल ने शिवबा संगठन नामक अपना संगठन स्थापित किया. यह संगठन मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के लिए कार्य करता था.

मनोज जरांगे पाटिल मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करने वाले विभिन्न राज्य के राजनेताओं से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे हैं.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पाटिल को फोन करके क्या कहा?

दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल अगस्त में पाटिल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सामने मराठा आरक्षण की मांग की थी. इसका वीडियो भी सामने आया था, जिसमें मराठा कार्यकर्ताओं की भीड़ के बीच पाटिल अपनी बात रखने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं. लेकिन, बैठक के दौरान पाटिल की आवाज शिंदे तक नहीं पहुंच सकी.

ठीक एक साल बाद जब पाटिल आरक्षण की मांग पूरी करवाने के लिए भूख हड़ताल पर बैठ गए, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को स्वयं पाटिल को फोन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने पाटिल से अनुरोध किया कि वो आंदोलन बंद कर दें.

दरअसल, पाटिल ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर 29 सितंबर को जालना में सात अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया था. कहा जाता है कि पाटिल ने सीएम के उस सुझाव पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें उन्होंने आंदोलन का आह्वान किया था.

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हिंसा कब भड़की? 

हिंसा तब भड़की जब एक बड़ी पुलिस टुकड़ी विरोध स्थल पर पहुंची और कहा कि पाटिल की हालत बिगड़ रही है और उन्हें सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित करने की जरूरत है. लेकिन, पाटिल के समर्थकों ने कहा कि वे निजी डॉक्टरों से उनकी जांच कराएंगे.

मराठा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस जबरदस्ती पाटिल को हिरासत में लेने के लिए आगे बढ़ रही थी. उन्होंने शिकायत की कि पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की पिटाई की.

मराठा कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि पूरे आंदोलन को तोड़ने का निर्णय 8 सितंबर को किया गया था. जब जालना में होने वाली "शासन अपल्या दारी" पहल के दौरान महाराष्ट्र के कई शीर्ष कैबिनेट मंत्रियों की प्रस्तावित यात्रा होने वाली थी.

एक मराठा कार्यकर्ता आबासाहेब कुडेकरा ने इसपर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि....

“मराठा प्रदर्शनकारियों पर हमला यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि 8 सितंबर को जालना में होने वाली शासन अपल्या दारी पहल के लिए कोई बाधा न हो. सरकार ऐसे समय में होने वाले विरोध प्रदर्शन के लिए उत्सुक नहीं थी, जब सभी मंत्री जालना का दौरा करेंगे और यही कारण है कि प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया. ”
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विरोध प्रदर्शन पर पाटिल ने क्या कहा?

मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग के लिए हो रहे प्रदर्शन को रोकने में पुलिस विफल रही. इसी के साथ मनोज जरांगे पाटिल अब प्रदर्शनकारियों के लिए एक हीरो की तरह गए हैं. NCP प्रमुख शरद पवार सहित वरिष्ठ राजनेता उनसे मिल रहे हैं. इस बीच पाटिल ने कहा है कि "वह अपना विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करने वाले हैं. जब तक मराठा आरक्षण की मांग पूरी नहीं हो जाती."

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