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असम: तेल के कुएं में लगी भीषण आग, 14 दिन से हो रहा था गैस रिसाव

गैस रिसाव होने के बाद हजारों लोगों को वहां से निकाला जा चुका था

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राज्य
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असम के तिनसुकिया जिले में अचानक लोगों को ऊंची आग की लपटें दिखाई दीं. दरअसल यहां एक तेल के कुएं से पिछले 14 दिनों से गैस रिसाव हो रहा था, जिसके बाद आखिरकार उसमें आग लग गई और कई घंटे तक आग की भयानक लपटें उठती रहीं. आग लगने के बाद तुरंत पूरे इलाके को खाली कराया गया. फिलहाल किसी भी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है.

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CM सोनोवाल ने केंद्रीय मंत्री से की बात

ये तेल का कुआं डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क के नजदीक है. स्थानीय लोगों का कहना था कि आग की लपटें कुछ इस तरह से हवा में उठ रही थीं कि दो किलोमीटर दूर से भी लोगों ने इसे देखा.

इस घटना को लेकर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान से बात की. उन्होंने मंत्री को पूरी घटना की जानकारी दी. इसके अलावा मौके पर एनडीआरएफ और सेना के जवानों को भी तैनात किया गया है. हालात को नियंत्रण में लाने की कोशिश लगातार जारी है.

दरअसल ये तेल का कुंआ ऑयल इंडिया लिमिटेड का है. इसमें लीकेज को लेकर पहले ही रिपोर्ट की गई थी. जिसके लिए एक तीन सदस्यों वाली एक्सपर्ट टीम को सिंगापुर से बुलाया गया था. कंपनी ने बताया कि एक्सपर्ट्स की टीम ने शुरुआती चर्चा के बाद सबसे पहले डिजास्टर कंट्रोल को अलर्ट करने को कहा. इसके बाद ये टीम सोमवार को इस ऑयल साइट पर पहुंची थी.
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2500 लोगों को हटाया गया

इस गैस रिसाव और इसके खतरे को देखते हुए पहले ही करीब 650 परिवारों के 2500 लोगों को वहां से हटा दिया गया था. इन सभी लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया. 27 मई से ही हवा में गैस का रिसाव शुरू हो गया था. जिसके बाद राहत बचाव टीमों ने लोगों को वहां से निकालना शुरू किया. ऑयल इंडिया लिमिटेड ने इसके लिए राहत के तौर पर हर प्रभावित परिवार को 30 हजार रुपये देने की बात कही है.

कंपनी ने ये भी दावा किया है कि पिछले कई सालों से यहां काम हो रहा है लेकिन आज तक गैस की वजह से किसी की भी जान नहीं गई. हालांकि लोकल रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस प्लांट से निकलने वाले प्रदूषण के चलते नातुन गांव में चार लोगों की मौत हुई थी. 
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इस घटना को लेकर पर्यावरण विद, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स और कई सोशल एक्टिविस्ट्स ने चिंता जताई है. आशंका जताई जा रही है कि इससे आसपास रहने वाले लोगों और जानवरों पर असर पड़ सकता है. क्योंकि ये डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क के नजदीक है, इसलिए इन लोगों की चिंता ज्यादा बढ़ गई है.

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