कर्नाटक (karnataka) में मंकी फीवर (Monkey Fever) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इस बीमारी की चपेट में एक महिला की मौत हो गई है. राज्य के उत्तर कन्नड़ जिले में गुरुवार, 22 फरवरी को मंकी फीवर के नाम से मशहूर क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) से एक 65 वर्षीय महिला की मौत हो गई.
कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में मंकी फीवर से होने वाली पहली मौत है. स्वास्थ्य अधिकारी इसे लेकर चिंतित हैं क्योंकि इसका प्रभावी टीकाकरण अभी तक उपलब्ध नहीं है. सिद्दापुर कस्बे के निकट जिद्दी गांव की रहने वाली महिला की हालत बुधवार को गंभीर हो गई थी.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने हाल ही में तीन जिलों के विधायकों और अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जहां बीमारी के प्रकोप के कारण स्थिति चिंताजनक हो गई है.
राज्य में मंकी फीवर के अभी 103 एक्टिव मामले हैं. जिनमें से अब तक दो मौतें हुई हैं. एक मौत चिक्कमगलुरु और दूसरी मौत शिवमोग्गा जिले में हुई है.
टीकाकरण के लिए ICMR से हुई बातचीत
राज्य सरकार ने प्रभावी टीकाकरण के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ बातचीत की है और अधिकारियों को जल्द ही टीकाकरण होने की उम्मीद है.
जिन क्षेत्रों में भी बीमारी का पता चला है, वहां जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है.
मंकी फीवर एक टिक-जनित वायरल रक्तस्रावी बीमारी है जो मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स के लिए घातक हो सकती है.
KFD और इसके लक्षण क्या है?
केएफडी (KFD) एक जूनोटिक संक्रमण है जो जानवरों खासकर प्राइमेट्स पर पाए जाने वाले टिक्स के कारण होता है. इस वायरल बीमारी की पहचान पहली बार 1950 के दशक में कर्नाटक के वन क्षेत्रों में की गई थी और तब से इसकी कई वेव आ चुकी हैं.
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) के लक्षण अचानक ठंड लगना, बुखार और सिरदर्द के साथ शुरू होते हैं. फिर मंकी फीवर की चपेट में आए मरीज में शुरुआती लक्षण के तीन-चार दिन बाद उल्टी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण दिखाई देते हैं. इसके बाद रक्तस्राव की समस्याओं के साथ गंभीर रूप से मांसपेशियों में दर्द हो सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)