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MP:बुरहानपुर देश का पहला 'हर घर जल' प्रमाणित जिला,पर नहीं बुझ रही लोगों की प्यास

Har Ghar Jal Yojna: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019 के केंद्रीय बजट में 'हर घर जल' योजना की घोषणा की थी.

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दुनिया की करीब 17 फीसदी आबादी भारत (India) में रहती है, लेकिन यहां दुनिया के ताजा जल संसाधनों (Fresh Water Resources) का केवल 4 फीसदी है. ये आंकड़ा देश में जल संसाधनों की हकीकत बताने के लिए काफी है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लोगों तक साफ पानी पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है. 'हर घर जल योजना' (Har Ghar Jal Yojna) इसी का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक ग्रामीण इलाकों के हर घर में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाना है. लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बुरहानपुर (Burhanpur) में ये योजना महज कागजी साबित होती दिख रही है.

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बुरहानपुर देश का पहला 'हर घर जल' प्रमाणित जिला

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने साल 2019 के केंद्रीय बजट में 'हर घर जल' योजना की घोषणा की थी. केंद्र सरकार ने 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में नल का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है. इससे पहले ही 2022 में मध्य प्रदेश का बुरहानपुर (Burhanpur) जिला देश का पहला 'हर घर जल' वाला प्रमाणित जिला बन गया. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) तक ने बधाई दी थी. तत्कालीन कलेक्टर प्रवीण सिंह को राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था.

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने ट्वीट किया था, "तीन साल से भी कम समय में 2019 में 37 फीसदी से 100 फीसदी, मध्य प्रदेश का बुरहानपुर देश का पहला 'हर घर जल' प्रमाणित जिला बना." लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है.

बुरहानपुर में 'हर घर जल योजना' की हकीकत

शहरी क्षेत्र जैसे- आजाद नगर, अक्षरधाम कॉलोनी में भी लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो धूलकोट, डाईफोड़िया, सिरपुर सहित कई अन्य इलाके ऐसे हैं जहां नल से पीने का शुद्ध और स्वच्छ पानी नहीं पहुंच पा रहा है.

आदिवासी क्षेत्र धूलकोट में ऐसे कई इलाके हैं जहां पाइप लाइन तो पहुंच गई है लेकिन पानी सप्लाई नहीं हो रहा है. लोग कुएं और हैंडपंप के सहारे हैं.

कलेक्टर से हर घर जल योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत करने पहुंचे सिरपुर गांव के दिनेश मोहन पाटिल ने आरोप लगाते हुए कहा कि,

वही इसी तरह का कुछ हाल डाईफोड़िया गांव का भी है. गजानन दुबे बताते हैं कि,

राजोरा गांव के मोती पटेल ने बताया कि, "नायक मोहल्ले में पंचायत वालों ने गड्ढे खो दिए हैं. इतनी परेशानी हो रही है कि इसका हिसाब नहीं. दिल्ली में जाकर, भोपाल में जाकर अवॉर्ड ले रहे हैं, लेकिन यहां कोई सुनवाई नहीं हो रही है."

जल आवर्धन योजना की सुस्त रफ्तार

ग्रामीण क्षेत्रों का तो बुरा हाल है ही. शहरी क्षेत्र में भी लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं. बुरहानपुर नगर निगम क्षेत्र में जल आवर्धन योजना पिछले 5 सालों से चल रही है लेकिन काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है. लेटलतीफी की वजह से योजना की लागत भी बढ़ गई है. वहीं जगह-जगह पाइप लाइन बिछाने के लिए खोदे गए गड्ढे मुसीबत का सबब बन गए हैं.

इस योजना के तहत ग्राम बसाड़ में ताप्ती नदी पर एक डैम बना कर वहां से पानी शहर वासियों को फिल्टर कर पहुंचाना था. लेकिन न तो अभी तक डैम बन पाया है और न ही शहर में टंकियों का काम पूरा हुआ है.

अक्षरधाम कॉलोनी के राम चौधरी ने बताया कि, "हमें पानी की दिक्कत हो रही है. हमने सचिव साहब से कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है."

कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस जिला प्रवक्ता एवं पार्षद अजय उदासीन ने कहा कि पाइपलाइन और पानी के मीटर लगा दिए गए हैं लेकिन नेपानगर में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां नल से अभी तक एक बूंद पानी भी क्षेत्रवासियों को नहीं मिला है. उन्हें रोज सुबह उठकर पानी के लिए भटकना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,

इस बारे में जब हमने नगर निगम कमिश्नर एसके सिंह से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे बात नहीं हो पाई. वहीं नल जल योजना के बारे में जब जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया.

सरकार का दावा, प्रदेश के 47% ग्रामीणों को मिल रहा नल से जल

मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने बजट पेश करते हुए बताया था कि जल जीवन मिशन के पूर्व प्रदेश में केवल 11 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन से पेयजल सुविधा उपलब्ध थी, जो कि अब 47 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को उपलब्ध है.

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, जल जीवन मिशन के अंतर्गत 58 हजार 800 करोड़ से अधिक की योजनाएं स्वीकृत है. सरकार का दावा है कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन से अब तक 56 लाख 70 हजार से अधिक ग्रामीण परिवारों के घरों में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा चुका है.

बजट में इस योजना के लिए 7 हजार 331 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

बहरहाल, 'हर घर जल योजना' की घोषणा के 4 साल बीत जाने के बाद भी मध्य प्रदेश में 50 फीसदी ग्रामीण परिवारों तक नल से पेयजल की सुविधा नहीं पहुंच पाई है. केंद्र सरकार ने 2024 तक इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा था. ऐसे में बड़ा सवाल है कि कहीं ये योजना सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर न रह जाए.

(इनपुट: समीर महाजन)

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