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मुख्तार अंसारी की विधायकी पर खतरा? मंत्री ने दिए संकेत 

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने भी कहा है कि यह मामला विचाराधीन है.

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उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की यूपी की विधानसभा में सदस्यता खत्म करने की तैयारी कर रही है. अंसारी मऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. यूपी के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में कानूनी राय ली जा रही है. उन्होंने कहा,

“अगर कोई सदस्य 60 दिनों से ज्यादा समय तक सदन से अनुपस्थित रहता है, तो उस स्थिति में नियमों के अनुसार उसकी सदस्यता को रद्द किया जा सकता है. यदि कोई उनकी सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका दायर करता है, तो सरकार आगे की कार्रवाई को लेकर फैसला करेगी.”
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‘मामला विचाराधीन है’

इसे लेकर एक याचिका भी विधानसभा अध्यक्ष ह्दयनारायण दीक्षित के पास विचाराधीन है.विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 192 में यह व्यवस्था दी गयी है कि यदि कोई सदस्य सदन में लगातार 60 दिन अनुपस्थित रहता है तो सदन उसकी सदस्यता रद्द कर सकती है. उन्होंने बताया कि इसे लेकर 4 नवम्बर 2020 को वाराणसी में माफिया विरोधी मंच चलाने वाले सुधीर सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को विधायक मुख्तार अंसारी की सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका पत्र दिया था.

उन्होंने अपने याचिका पत्र में कहा है कि विधानसभा के किसी भी सत्र या संविधानिक चर्चा में वह नहीं शामिल हो रहे हैं. जबकि भारतीय संविधान के अनुसार लगातार 60 दिन तक सत्र में अनुपस्थित रहने वाले विधायक की सदस्यता रद्द करने का प्रावधान और इसलिए वह अंसारी की सदस्यता रद्द करने की मांग करते हैं.

अंसारी को जबरन वसूली के मामले में जनवरी 2019 से पंजाब की रूपनगर जेल में रखा गया था और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को उसे बांदा जेल वापस लाया गया था. वैसे तो वह अक्टूबर 2005 से जेल में है, लेकिन अदालत की अनुमति से वह विधायी कार्यवाही में भाग लेता रहा है. इतना ही नहीं अंसारी ने जेल में रहते हुए 2007, 2012 और 2017 में चुनाव भी जीते हैं.

हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद जेल में बंद विधायकों के विधायी कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने के कदम का कड़ा विरोध किया था.

(इनपुट: IANS)

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