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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए नई आरक्षण नीति लागू

जो पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित रह चुकी हैं, उन्हें पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा

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उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नई आरक्षण नीति लागू की गयी है, इसके मुताबिक पंचायतों के पदों के आरक्षण में बड़े बदलाव की संभावना है. सबसे पहले उन जिला, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों को आरक्षित किया जाएगा, जो अभी तक इससे वंचित रही हैं. आरक्षण की रोटेशन प्रणाली रहेगी, लेकिन इसमें तमाम शर्तें लागू की गई हैं.

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अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार ने लोकभवन में पत्रकारों से त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए जारी किए दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नई नीति का सबसे प्रमुख सिद्धांत यह है कि जो ग्राम, क्षेत्र या जिला पंचायतें अभी तक किसी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हुई हैं, उन्हें सबसे पहले उन्हीं वर्गों के लिए आरक्षित किया जाएगा.

पंचायत निर्वाचन-2021 में अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग की सर्वाधिक आबादी वाली जिला, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों को रोटेशन में आरक्षित किया जाएगा, लेकिन 1995, 2000, 2005, 2010 2015 में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं, वे इस बार अनुसूचित जाति के लिए आवंटित नहीं की जाएंगी.

जो पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित रह चुकी हैं, उन्हें पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा. उनमें जनसंख्या के अवरोही क्रम में अगले स्टेज पर 1995 से लेकर 2015 तक पांच चुनावों में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित रही सीटें इस बार संबंधित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी. माना जा रहा है कि इस व्यवस्था से करीब 15 हजार पंचायतों को पहली बार आरक्षण का लाभ मिलेगा

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि विभाग पंचायत चुनाव की तैयारी में लगा है. इसी क्रम में परिसीमन का काम खत्म होने के बाद आरक्षण प्रक्रिया पर काम किया गया. उन्होंने कहा कि जहां पर भी पहले आरक्षण लागू था, वहां पर इस बार वह स्थिति नहीं होगी. प्रदेश में 2015 में आरक्षण की जो स्थिति थी वह 2021 में नहीं होगी. पिछले पांच चुनावों के वह पद किसके लिए आरक्षित था. उसका संज्ञान लिया जाएगा. इसके साथ ही छह दिन में यानी दो से लेकर आठ मार्च तक आपत्ति आरक्षण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है.

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