बिहार में कोराना के 4 नए मामले, संक्रमितों की संख्या 15 हुई
बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. रविवार को एक साथ चार नए कोविड-19 पजिटिव मामले सामने आने के साथ राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 15 तक पहुंच गई है. इससे पहले राज्य में शनिवार को दो मामले पॉजिटिव पाए गए थे.
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में रविवार को हुई नमूनों की जांच में चार लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है.
आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख एस़ क़े शाही ने बताया, “भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से कुल 16 नमूने मिले थे, जिनकी रविवार की जांच की गई, जिसमें चार नमूने कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.
बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. महामारी की रोकथाम के लिए सरकार सभी एहतियाती कदम उठा रही है.
विशेष बस से लोगों को भेजना गलत, लॉकडाउन हो जाएगा असफल : नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से अपने मूल प्रदेश लौट रहे मजदूरों और अन्य गरीब लोगों को बसों से भेजे जाने पर नाराजगी जताते हुए इसे एक गलत कदम बताया. उन्होंने कहा कि यह कदम लॉकडाउन को पूरी तरह असफल कर देगा. मुख्यमंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा कि विशेष बसों से लोगों को भेजना एक गलत कदम है. उन्होंने कहा कि इससे कोरोना वायरस महामारी और फैलेगी, जिसकी रोकथाम और उससे निबटना सबके लिए मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा, “जो जहां हैं उनके लिए रहने-खाने की व्यवस्था वहीं की जा रही है. बसों से लोगों को उनके राज्य भेजने का फैसला लॉकडाउन को पूरी तरह असफल कर देगा.”
नीतीश ने कहा कि स्थानीय स्तर पर ही कैम्प लगाकर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम किया जाना चाहिए. दिल्ली से हजारों की संख्या में लोग अपने घर जाने के लिए पैदल निकल पड़े हैं. इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बसों का इंतजाम किया है. ये बसें नोएडा-गाजियाबाद से हर दो घंटे में रवाना होंगी. इन बसों में ज्यादातर लोग पूर्वाचल और बिहार के हो सकते हैं. बता दें कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया है.
बिहार में अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए आपदा राहत केन्द्र स्थापित
बिहार में अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों का पहुंचना शुरू हो गया जिनके आवासन, भोजन और चिकित्सकीय जांच के लिए राज्य सरकार ने सीमावर्ती जिलों में सीमा आपदा राहत केंद्र स्थापित किए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि अन्य राज्यों में लाकडाउन में फंसे बिहार के लोगों को राहत पहुंचाने के लिये संपूर्ण उपाय किये जाएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों में जो बिहार के लोग फंसे हुये हैं, उनके लिये बिहार भवन में जारी हेल्पलाइन नंबर से लोगों की मदद की जा रही है. उन्होंने मुख्य सचिव एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि राज्य स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्ष को और मजबूत करते हुये इसकी सघन निगरानी की जाए . मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि अन्य राज्यों में बंद में फंसे बिहार के लोगों के संबंध में संबंधित राज्य सरकार जिला प्रशासन से सम्पर्क स्थापित कर सूचना देने वाले अथवा शिकायतकर्ता से उनके आवासन, भोजन की समुचित व्यवस्था के संबंध में फीडबैक लें.
मुख्यमंत्री ने सभी राज्यों के लिये अलग-अलग पदाधिकारियों को जिम्मेदारी देने के लिए भी निर्देश दिया और कहा कि उनके माध्यम से भी इसका सघन निगरानी करायी जाय. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कोरोना संक्रमण से निपटने के लिये आवश्यक कदम उठा रही है लेकिन इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुये प्रत्येक व्यक्ति का सचेत रहना नितांत आवश्यक है.
नीतीश ने कहा कि लोग अपने घर के अंदर रहें, अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें. मुझे पूरा विश्वास है कि सभी के सहयोग से मिलकर इस चुनौती का सफलतापर्वूक सामना करने में सक्षम होंगे. आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य के बाहर से आ रहे लोगों के लिये सीमावर्ती जिलों में राज्य सरकार के द्वारासीमा आपदा राहत केन्द्र संचालित किये गये हैं, जहाँ इनके रहने, भोजन एवं स्वास्थ्य जाँच आदि की व्यवस्था की गयी है. स्वास्थ्य जाँच के बाद बाहर से आये लोगों को बसों के माध्यम से उनके गाँव से संबंधित जिला मुख्यालय तक पहुँचाया जाएगा, जहाँ से सरकारी वाहन के द्वारा इन्हें उनके गाँव के स्कूलों तक ले जाया जाएगा एवं पृथक 14 दिनों तक रखा जाएगा. अबतक 25000 से अधिक लोगों को उनके गाँव के विद्यालय तक पहुंचा दिया गया है, जहाँ उन्हें पृथक 14 दिनों तक रखा जायेगा
कुछ के लापरवाह,अमानवीय रवैवे ने बिहार को मुश्किल में डाल दिया है : मंत्री
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली और एनसीआर से बडे पैमाने पर प्रवासी मजदूरों के पलायन पर रविवार को आरोप लगाया कि कुछ लोगों के लापरवाह और अमानवीय रवैवे ने न केवल बिहार को मुश्किल में डाल दिया है बल्कि भविष्य में कोरोना वायरस के विस्फोटक खतरे को भी आमंत्रित किया है. झा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वहां सत्तासीन आम आदमी पार्टी का नाम लिए बिना उनपर परोक्ष रूप से प्रहार करते हुए रविवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों की ओछी राजनीति और संकीर्ण मानसिकता के कारण अचानक ही लाखों लोग दिल्ली से पलायन करने लगे जिसकी वजह से बिहार की सीमाएं भर गयी हैं और प्रधानमंत्री का 21 दिनों का लॉकडाउन ही खतरे में पड़ गया है.''
उन्होंने कहा कि इससे कोरोना वायरस के विस्फोटक खतरे को भी आमंत्रित किया है क्योंकि सीमाओं पर खड़े लोग अब भी अपने गांव-घर जाने पर आमादा हैं . बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र माने जाने वाले झा ने कहा कि 21 दिनों का लॉकडाउन इसलिए किया गया है, ताकि कोरोना वायरस ना फैले. अगर लोग एक राज्य से दूसरे राज्य आते रहेंगे तो इसके संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ जाएगा.
झा ने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को उनके यहां रह रहे सभी प्रवासी नागरिकों, जैसे मजदूर, विद्यार्थी, आदि को हर जरूरी सुविधा व सुरक्षा देते हुए, यातायात व लोगों के पलायन को तुरंत रोकने का निर्देश दिया है. उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे जहां हैं, वहीं रहें. सरकार आप तक हर सुविधा पहुंचाएगी. झा ने कहा कि हम बाहर से बिहार आने वाले लोगों का कोराना वायरस टेस्ट करवाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशानिर्देश पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में सामुदायिक रसोई और आइसोलेशन सेंटर की व्यवस्था की गई है.
बिहार में AES से पहली मौत, एक बच्ची इलाजरत
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में भर्ती एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित दो बच्चों में से एक की रविवार को हो गयी. इस बीमारी ने पिछले साल प्रदेश में करीब 200 बच्चों की जान ले ली थी. एसकेएमसीएच के शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने रविवार को बताया कि पीआइसीयू वार्ड संख्या दो में भर्ती एईएस से पीडि़त तीन वर्षीय आदित्य कुमार की मौत हो गई है. आदित्य की स्थिति गंभीर होने पर उसे शुक्रवार की देर रात से वेंटिलेटर पर रखा गया था. उन्होंने बताया कि पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया निवासी रूपन सहनी की एईएस से पीडि़त पांच वर्षीय पुत्री सपना कुमारी की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है.
इस साल बिहार में एईएस से यह पहली मौत है. पिछले साल प्रदेश में करीब 200 बच्चों की इस रोग ने जान ले ली थी. एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि एईएस को लेकर सभी को अलर्ट कर दिया गया है. एईएस से पिछले वर्ष एसकेएमसीएच में 111 बच्चों की मौत हो गयी थी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पटना में कोरोना सक्रंमण, एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम, बर्ड फ्लू एवं स्वाईन फ्लू को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा के क्रम में निर्देश देते हुये कहा था कि एईएस के संदर्भ में अभी से ही पूरी तैयारी रखी जाय. लोगों को एईएस के संबंध में अभियान चलाकर जागरूक करें. एईएस से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्रों में सभी प्रकार के सुरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित करें एवं वहां सम्पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखें. उन्होंने कहा था कि एसकेएमसीएच में बन रहे 100 बिस्तर वाले बच्चों के आईसीयू को जल्द से जल्द तैयार करायें ताकि समय पर गहन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)