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Qपटना: कुशवाहा की पदयात्रा, मंगल पांडेय के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष

Q पटना में पढ़िए बिहार की सभी प्रमुख खबरें 

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नीतीश के इस्तीफे की मांग को लेकर कुशवाहा की पदयात्रा


राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के लिए बिहार सरकार को दोषी बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है. उन्होंने मंगलवार को मुजफ्फरपुर से 'नीतीश हटाओ-भविष्य बचाओ' पदयात्रा शुरू की और कहा कि यह आंदोलन नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से हटने तक जारी रहेगा. कुशवाहा ने मुजफ्फरपुर के शहीद खुदीराम बोस स्मारक स्थल से क्रांतिवीर खुदीराम बोस को नमन करने के बाद पदयात्रा शुरू की. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर से शुरू हुई है यह यात्रा छह जुलाई को पटना में जाकर खत्म होगी.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई जिलों में 1995 से एईएस से बच्चों की मौत हो रही है, लेकिन अब तक सरकार गंभीर नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार 14 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अब तक उन्होंने इस बीमारी के लिए कुछ नहीं किया.

उन्होंने कहा कि बच्चे किसी परिवार के सदस्य नहीं, देश के भविष्य हैं और जब भविष्य ही कुपोषण का शिकार हो रहा है तो ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं. कुशवाहा ने कहा कि बिहार में डॉक्टरों सहित स्वास्थ्यकर्मियों के पद खाली हैं, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है. ऐसी स्थिति में भी नीतीश चेहरा बचा रहे हैं.  उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. इस मौके पर कुशवाहा के साथ आरएलएसपी के कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे.

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तेजस्वी के 'अज्ञातवास' की वजह परिवार, पार्टी में कलह!

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव में मिली पार्टी की करारी हार के बाद अपने 33 दिनों के 'अज्ञातवास' के बाद भले ही पटना लौट आए हैं, लेकिन अभी भी विधानमंडल के मॉनसून सत्र में हिस्सा लेने वह सदन नहीं पहुंचे हैं. इस बीच, देश के दमदार नेता के रूप में शुमार रहे लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव के अज्ञातवास और फिर 'घर वापसी' पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई है.
तेजस्वी ने पटना वापस लौटने के एक दिन पहले ट्वीट कर अपने इलाज का हवाला देते हुए पटना से गायब रहने की बात सार्वजनिक की थी, लेकिन वह कहां और किस बीमारी का इलाज करा रहे थे, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है.
आरजेडी के एक नेता से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपने बेबाक अंदाज में कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह बात किसी को मालूम होगी. वह (तेजस्वी) अपनी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को भी यह बताकर नहीं गए होंगे कि वह कहां जा रहे हैं."

लेकिन बिहार की राजनीतिक फिजा में तेजस्वी के अज्ञातवास का जो कारण तैर रहा है, उसमें परिवार और दल में सत्ता संघर्ष को बताया जा रहा है.

चारा घोटाले में सजा पाने से पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने तेजस्वी को बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बनवाकर और बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर अप्रत्यक्ष रूप से अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. लेकिन लालू के जेल जाने और हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बड़े भाई तेजप्रताप यादव के बागी तेवर ने तेजस्वी को परेशान कर दिया. तेजप्रताप ने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से आरजेडी उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी तक उतार दिया था.

बीजेपी नेता और बिहार के मंत्री विजय सिन्हा तेजस्वी के 'अज्ञातवास' के पीछे का कारण पारवारिक कलह मानते हैं. वह कहते हैं, "मुझे जो आरजेडी के लोगों से जानकारी मिली है, उसके मुताबिक तेजस्वी ने परिवार में तेजप्रताप को पार्टी से निकालने की शर्त रख दी है. जब तक तेजप्रताप को पार्टी से बाहर नहीं निकाला जाता, वह सदन नहीं जाएंगे."
हालांकि आरजेडी के नेता इसे सही नहीं मानते. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि विरोधियों का यह बयान कहीं से सही नहीं है. उन्होंने दावा किया कि जल्द ही तेजस्वी सदन में आएंगे और अपनी बात रखेंगे.

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विधानसभा में हंगामा, विपक्ष स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे पर अड़ा

बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का मुद्दा बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को भी विधानसभा में उठा. मंगलवार को सदन के बाहर और अंदर विपक्षी दलों ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के इस्तीफे की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. बिहार विधानसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के पूर्व सदन के बाहर भाकपा-माले के विधायकों ने बैनर-पोस्टर लेकर जमकर हंगामा किया और नारेबाजी की. इसके बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तब सदन के अंदर आरजेडी के सदस्यों ने भारी हंगामा शुरू कर दिया.

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदस्यों से सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की, लेकिन सदस्य स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए हंगामा करते रहे. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

बता दें कि एईएस के मुद्दे पर सोमवार को सदन में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार की ओर से जवाब दे चुके हैं. बिहार के मंत्री और बीजेपी के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि आरजेडी बच्चों की मौत पर राजनीति कर रही है.

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AES से ठीक हो चुके बच्चों के दिव्यांग होने का खतरा

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में फैले एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से पीड़ित होकर मौत के मुंह से निकल चुके बच्चों के अब दिव्यांग होने की आशंका जताई जा रही है. एईएस के कारणों की जांच कर रही केंद्रीय टीम ऐसे बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पीड़ित बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग की जरूरत बताई है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार और जांच टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ़ ए.क़े सिन्हा ने आशंका जताई है कि एईएस पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं या उनके शरीर का कोई अंग प्रभावित हो सकता है. ऐसे में ठीक होकर घर लौटे बच्चों में रोगों से बचने के लिए प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.

पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को काउंसलिंग की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि बीमारी से उबरे बच्चों के अभिभावकों को इसके प्रति जागरूकता बच्चों के लिए काफी मददगार साबित होगी.

मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में इस वर्ष गर्मी के मौसम में एईएस का कहर प्रारंभ हो गया था. हालांकि राहत की बात यह है कि बारिश प्रारंभ होने के बाद एईएस से पीड़ित बच्चों के अस्पताल आने की संख्या में कमी आई है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक, राज्य में एईएस या चमकी बुखार से अब तक 800 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 155 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.

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AES प्रभावित क्षेत्रों का सोशियो-इकनॉमिक सर्वे कराया जाएगा : नीतीश

बिहार विधान परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की मौत को दुखद बताते हुए मंगलवार को कहा कि प्रभावित क्षेत्रों का आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण कराया जाएगा. उन्होंने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि सरकार की ओर से कोई कोताही नहीं हुई है. मुख्यमंत्री ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा, "सोशियो-इकनॉमिक सर्वे कराया जा रहा है, जिसे सार्वजनिक किया जाएगा. इससे गरीबों को पक्का मकान देने और सरकारी योजनाओं का लाभ देने में मदद मिलेगी. ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चों की मौतें हुई हैं."

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी आधार पर बीमारी को काबू करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी. मुख्यमंत्री ने बच्चों की मौत के मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि “इस बीमारी से 2014 से बच्चे मर रहे हैं. बीमारी के सही कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है, सिर्फ एक आधार पर इलाज किया जा रहा है.”

उन्होंने कहा कि इस मामले में विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. उन्होंने इस बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि लोगों के जागरूक होने से इस बीमारी पर कुछ अंकुश लगाया जा सकता है.

(इनपुट: IANS)

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