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जम्मू-कश्मीर में 22 साल बाद राष्ट्रपति शासन, ये होंगे बड़े बदलाव

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के 6 महीने पूरे होते ही राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. 

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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के 6 महीने पूरे होते ही राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. बुधवार से यहां अब राष्ट्रपति शासन के तहत कामकाज होगा. इसके तहत सभी तरह के विधायी और वित्तीय अधिकार संसद के पास होंगी. अब राज्यपाल को जम्मू-कश्मीर में किसी भी नीतिगत फैसले के लिए केंद्र की इजाजत लेनी होगी.

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1990 में लगा था राष्ट्रपति शासन

इससे पहले जम्मू-कश्मीर में 1990 से लेकर 1996 तक राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. नियम के मुताबिक राष्ट्रपति शासन के दौरान बजट भी संसद से ही पास होता है. राज्यपाल शासन में जहां लगभग सभी तरह की शक्तियां राज्यपाल के पास होती हैं, वहीं राष्ट्रपति शासन में नीतिगत फैसलों के लिए राज्यपाल को केंद्र सरकार पर निर्भर रहना होता है.

बता दें कि जब तक जम्मू-कश्मीर में कोई सरकार नहीं बनती तब तक राष्ट्रपति शासन ही लागू रहेगा. इससे पहले सरकार गिरने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ था. लेकिन अब 6 महीने पूरे होते ही राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है. लेकिन जब तक यहां कोई भी मुख्यमंत्री नहीं है तब तक राज्य के मुखिया राज्यपाल ही होंगे. राज्यपाल यहां केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर काम करेंगे. राज्य में किसी भी तरह के काम या फिर कानून को लेकर उन्हें केंद्र को बताना होगा. जिसके बाद केंद्र उस मुद्दे पर मंजूरी देगा.

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बीजेपी ने गिराई थी सरकार

बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने अपना समर्थन वापस लेकर महबूबा मुफ्ती की सरकार गिरा दी थी. बीजेपी ने पीडीपी को आगे समर्थन देने से साफ इनकार कर दिया था. जिसके बाद यहां राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया.

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राज्यपाल ने भंग की थी विधानसभा

जम्मू-कश्मीर में सरकार गिरने के कुछ समय बाद जब पीडीपी ने कांग्रेस व अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की सोची तो राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी. उन्होंने कहा था कि अगर ये सरकार बनती तो स्थिर नहीं होती. पिछले 21 नवंबर को राज्यपाल ने विधानसभा भंग की थी.

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