पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह 4 जून को दिल्ली में तीन सदस्यीय कांग्रेस पैनल के सामने पेश हुए, जिसे कथित तौर पर पार्टी आलाकमान ने अपनी राज्य इकाई में समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाया था.
ये बैठक तीन घंटे से अधिक समय तक चली. पैनल का नेतृत्व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया, जिसमें कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत और पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल भी शामिल रहे. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बैठक के बाद कहा कि अगले छह महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं और “हमें साथ मिलकर काम करना है और चुनाव जीतना है.”
बैठक के बाद पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि तीन घंटे चली बैठक में अमरिंमदर सिंह ने 2022 पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए अपना रोडमैप पेश किया.
पत्रकारों से बात करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा, “बैठक अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा करने के लिए थी. ये हमारी पार्टी के भीतर की चर्चा है और मैं इन्हें आपके साथ साझा नहीं कर सकता.”
द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) और पंजाब कैबिनेट में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे.
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस सिद्धू को शांत करना चाहती है और बिना किसी बड़े बदलाव के कुछ मामूली समायोजन करके उन्हें पार्टी में बनाए रखना चाहती है. कहा जा रहा है कि सिद्धू के रोल को लेकर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी लेंगी. पैनल अगले कुछ दिनों में अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंप सकता है.
पैनल पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर चुका है. इसके अलावा पंजाब के पार्टी सांसदों और पूर्व राज्य इकाई प्रमुखों से भी मुलाकात कर चुका है.
PCC नेतृत्व पर भी हुई बात
कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने पैनल को स्पष्ट कर दिया था कि PCC का नेतृत्व किसी अन्य जाट सिख को नहीं करना चाहिए, क्योंकि राज्य पहले से ही एक के नेतृत्व में है. ये सिद्धू की राज्य इकाई का नेतृत्व करने की इच्छा को प्रभावित कर सकता है. अभी राज्य इकाई का नेतृ्त्व हिंदू समुदाय के जाट सुनील जाखड़ कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसके लिए दलित समुदाय से नेता की सिफारिश की है.
पंजाब कांग्रेस में दरार उस समय सामने आई जब राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने परगट सिंह के साथ मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. सिद्धू के नेतृत्व वाले एक समूह ने राज्य नेतृत्व में जब बदलाव का सुझाव दिया था, उस वक्त अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) को पंजाब के नेताओं की शिकायतों को सुनने के लिए एक समिति गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि अमरिंदर सिंह को रिप्लेस करने पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है.
(इनपुट्स- IANS, The Hindu)
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