राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बेटे वैभव गहलोत पर धोखाधड़ी का बड़ा आरोप लगा है. 6.8 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में वैभव गहलोत समेत 15 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी, लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. दर्ज की गई एफआईआर से वैभव का नाम हटा दिया गया है.
मामले की जांच से जुड़े पुलिस अधिकारी संजय सदाशिव ने क्विंट हिंदी को बताया इस मामले में शिकायतकर्ता सुशील पाटिल का पुलिस ने पूरक बयान दर्ज किया तो उन्होंने इस मामले में वैभव गहलोत कि किसी भी तरह के कनेक्शन से इनकार किया है. इसीलिए अब जांच में वैभव गहलोत से किसी तरह की पूछताछ नहीं की जाएगी. उन्होंने बताया कि पुलिस कमिश्नर के आदेश के बाद अब इस पूरे मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को दे दी गई है. पुलिस आयुक्त दीपक पांडेय ने बताया कि कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं. इनके समाधान के बाद जांच ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर कर दी जाएगी.
संजय सदाशिव ने बताया कि आम तौर पर दो करोड़ रुपए से ऊपर की ठगी के मामलों की जांच हम ईओडब्ल्यू को सौंप देते हैं. लेकिन तकनीकी वजहों से सोमवार को ऑर्डर जारी नहीं किया जा सका. इस मामले के तार कई राज्यों से जुड़े हैं. ईओडब्ल्यू के पास विशेषज्ञता है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, नासिक के सुशील पाटिल नाम के कारोबारी की शिकायत पर गुजरात कांग्रेस के नेता सचिन वालेरा और वैभव सहित 15 लोगों के खिलाफ गंगापुर थाने में कोर्ट के आदेश पर एफआइआर दर्ज की गई है. बाकी आरोपी अहमदाबाद और जोधपुर निवासी हैं.
पाटिल का दावा है कि मोटे मुनाफे के झांसे में उनके साथ धोखाधड़ी की गई. उन्होंने 13 बैंक खातों में 3.93 करोड़ रुपए जमा कराए. मामला राजस्थान में ई-टॉयलेट (शौचालय) के ठेके से जुड़ा है. वालेरा की कंपनी को ठेका मिलना था. पाटिल ने वालेरा की कंपनी में निवेश किया. 6.8 करोड़ के निवेश के बदले पाटिल को 19 करोड़ रुपए रिटर्न मिलने का भरोसा दिया गया था. लेकिन, पाटिल को सिर्फ 40 लाख रुपए मिले. वहीं इस मामले में प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने इस मामले में मुख्यमंत्री से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
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