राजस्थान के जयपुर में रविवार को 12 फीसदी आरक्षण सहित विभिन्न मांगों को लेकर माली समुदाय ने माली महासंगम आयोजित किया गया. इस महासंगम में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टी के नेताओं ने भाग लिया. जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मुख्य अतिथि रहे. जोधपुर दौरे पर होने के कारण सीएम अशोक गहलोत तो इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे, लेकिन महासंगम में अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे जरूर लगे.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, जो ओबीसी वर्ग से आते हैं, ने माली समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि
2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुल 200 सीटों में से इस समाज को बीजेपी से छह टिकट मिले थे और कांग्रेस से चार टिकट मिले थे. अगर समाज एकजुट रहा तो इस बार उन्हें कम से कम 20-20 टिकट मिलेंगेयूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद
लेकिन मौर्या के भाषण के दौरान ही सामने बैठे दर्शकों ने "अशोक गहलोत ज़िंदाबाद" के नारे लगाने शुरू कर दिये. जिसने मंच पर मौजूद बीजेपी नेताओं के साथ-साथ कार्यक्रम आयोजकों को भी हतप्रभ कर दिया. इसके बाद मौर्या को अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा.
दर्शक गहलोत के समर्थन में नारे इतने जोर से लगाने लगे कि आयोजकों को बार-बार उनसे अपील करनी पड़ी कि यह एक सामुदायिक कार्यक्रम है जिसे राजनीतिक समारोह में नहीं बदलना चाहिए.
इस घटनाक्रम ने फिर से राजस्थान में माली और उस जैसे संबंधित जाति सैनी, मौर्य, कुशवाहा और शाक्य समुदायों के बीच गहलोत के नेतृत्व की प्रधानता का संकेत दिया, जबकि राज्य के कुल 200 विधायकों में से केवल तीन विधायक इन समुदायों से संबंधित हैं. जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं.
आपको बता दें माली समुदाय ने राज्य और केंद्रीय स्तरों पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने के अलावा अपने समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आयोजन किया था. यह कार्यक्रम भरतपुर में समुदाय के कई सदस्यों द्वारा जयपुर-आगरा राजमार्ग को ब्लॉक करने के एक महीने बाद आयोजित किया गया था. इस राजमार्ग नाकाबंदी को मिलाकर पिछले एक साल के भीतर उन्होंने आरक्षण की मांग को लेकर दूसरा प्रदर्शन किया था, जिसे गहलोत प्रशासन के साथ बातचीत के बाद फिर से बंद कर दिया गया था.
माली समुदाय के बीच यह असंतोष था कि बीजेपी नेताओं ने दिसंबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के लिए माली महासंगम को भुनाने की उम्मीद की थी, जो उल्टा पड़ा गया. और उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा.
माली समुदाय के सूत्रों ने कहा, "यह कार्यक्रम वास्तव में समुदाय द्वारा आयोजित किया गया था, लेकिन भाजपा नेताओं को इसे अपनी पार्टी के बारे में पिच बनाते देख दर्शकों को बेचैनी होने लगी"
इस कार्यक्रम में मौजूद भाजपा नेताओं में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, सहित राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी और विधायक अविनाश गहलोत भी शामिल थे.
अपने संबोधन में, राजेंद्र गहलोत जो कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर से आते हैं, और अशोक गहलोत के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने ओबीसी समुदायों को आरक्षण से "इनकार" किया था.
यूपी जैसे अहम राज्य में, बीजेपी राजस्थान के माली समुदायों जैसे समान गैर-प्रमुख ओबीसी को अपना वोट बैंक बनाने में सफल रही है.
बीजेपी के पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी ने अशोक गहलोत के समर्थन में नारा लगाते हुए दर्शकों से कहा यह बहुत हो गया, आप अशोक गहलोत जी की बात कर रहे है. वह हमारे आदर्श भी हैं. चूंकि वह हमारे आदर्श हैं, इसलिए कृपया उनकी छवि खराब न करें. सैनी की इस अपील के बाद दर्शकों पर इसका असर हुआ और वह चुप हुए.
लेकिन जैसे ही केशव प्रसाद मौर्य ने दोबारा अपना भाषण शुरू किया और कहा कि बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, भीड़ वापस फिर से गहलोत समर्थन में नारे लगाने लगी. कार्यक्रम आयोजकों के बार-बार अनुरोध करने और मौर्य द्वारा समुदाय की एकता बनाए रखने की अपील के बावजूद, सभा में मौजूद कई लोग गहलोत के पोस्टर लहराते रहे और उनके पक्ष में नारे लगाते रहे.
कार्यक्रम अशोक गहलोत बेटे वैभव गहलोत भी शामिल हुए
माली महासंगम में सीएम गहलोत तो शामिल नहीं हुए लेकिन उनके बेटे वैभव गहलोत, जो राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) के अध्यक्ष भी हैं, मंच पर मौजूद थे, जब भीड़ ने बीजेपी नेताओं के भाषणों में बाधा डालते हुए उनके पिता की जय-जयकार की तो वैभव ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच दर्शकों से कहा, "आपके आशीर्वाद से ही गहलोत साहब तीसरी बार मुख्यमंत्री बन पाए हैं"
वैभव ने माली समुदाय के विकास में गहलोत के योगदान पर भी प्रकाश डाला, जिसमें "केंद्रीय कपड़ा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राजस्थान के माली समुदाय को एकजुट करने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले राष्ट्रीय संस्थान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका" भी शामिल है.
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