सुपरस्टार रजनीकांत ने समाज सुधारक पेरियार की दशकों पहले एक रैली को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने से मंगलवार को इनकार किया. उन्होंने कहा कि वह न तो खेद प्रकट करेंगे और न ही माफी मांगेंगे और उनकी टिप्पणी फैक्ट पर की गई थी. मामले में एक द्रविड़ संगठन ने रजनीकांत से पेरियार की रैली को लेकर की गई टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग की है.
पत्रिकाओं और अखबारों की दिखाई क्लिपिंग
पत्रिकाओं और अखबारों की क्लिपिंग दिखाते हुए अभिनेता ने कहा कि 1971 में पेरियार ई वी रामासामी के नेतृत्व में निकाली गई एक रैली में भगवान राम और सीता की वस्त्रहीन तस्वीरें रखी गई थीं जिन्हें जूतों की माला के साथ चित्रित किया गया था. उन्होंने अपने पोस गार्डन स्थित आवास के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘‘एक विवाद सामने आया है कि मैंने ऐसा कुछ कहा जो नहीं हुआ. लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा जो नहीं हुआ. मैंने केवल वही कहा जो मैंने सुना और जो चीजें पत्रिकाओं में छपीं. क्षमा करें, मैं न तो खेद व्यक्त करूंगा और न ही माफी मांगूंगा.’’
उन्होंने कहा,
‘‘मैंने कल्पना से बाहर कुछ भी नहीं कहा या ऐसा कुछ नहीं था जो वहां नहीं हुआ था. लक्ष्मणन (तत्कालीन जनसंघ और अब बीजेपी नेता) ने (1971 में) एक धरने में हिस्सा लिया था जिन्होंने इसकी पुष्टि की है.’’
रजनीकांत ने क्या आरोप लगाया था
अभिनेता ने कहा कि 1971 की रैली में हिंदू देवी-देवताओं को कथित तौर पर नग्न दिखाया गया था. उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजें पहले भी हुई हैं और ऐसा बार-बार नहीं होना चाहिए.
14 जनवरी को तमिल पत्रिका ‘तुगलक’ द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में रजनीकांत ने आरोप लगाया था, ‘‘1971 में पेरियार ने सलेम में एक रैली निकाली थी जिसमें भगवान श्रीरामचंद्र और सीता की वस्त्रहीन तस्वीरों को जूतों की माला के साथ चित्रित किया गया था.
द्रविड़ संगठन द्रविदार विधुतलाई कझगम ने हालांकि आरोप लगाया कि अभिनेता ‘‘सरासर झूठ बोल रहे हैं.’’
संगठन ने रजनीकांत से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की और उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई.
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