बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को वेरीफाई करने के लिए जाति जांच समिति (caste scrutiny committee) को निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में साथ ही मांग की गयी है कि हाई कोर्ट यूपीएससी को निर्देश दे कि वो समीर वानखेड़े की सेवाओं को समाप्त करे, अगर जांच पैनल को पता चलता है कि उन्होंने अपने पिता के अनुसूचित जाति से होने का दुरुपयोग किया है.
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक महादेव कांबले ने वकील नितिन सतपुते के माध्यम से बॉम्बे हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की है.
याचिका में लगाया आरोप- वानखेड़े ने अपनी असली जाति और धर्म का खुलासा नहीं किया
याचिका में आरोप लगाया गया है कि वानखेड़े ने SC कैटेगोरी से भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में शामिल होने के दौरान अपनी असली जाति और धर्म का खुलासा नहीं किया था.
याचिका में दावा किया गया है कि ज्ञानदेव वानखेड़े की एक मुस्लिम महिला से शादी के बाद अनुसूचित जाति का दर्जा खत्म हो गया था. अपने दावे को सही ठहराते हुए अशोक महादेव कांबले ने कहा है कि चूंकि वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और जाहीदा बानो से शादी करने के लिए दाऊद का नाम लिया था, वानखेड़े अनुसूचित जाति समुदाय के लिए लाभ नहीं उठा सकते.
कांबले ने समीर वानखेड़े और डॉ शबाना कुरैशी के बीच निकाह का भी जिक्र किया है और कहा है कि अगर एनसीबी अधिकारी मुस्लिम नहीं हैं तो वह मुस्लिम समुदाय की लड़की से शादी नहीं कर सकते थें.
याचिका में वानखेड़े की जाति और धर्म की पुष्टि के बाद सिविल सेवाओं में उनकी नियुक्ति को रद्द करने की भी मांग की गई है.
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