जन प्रतिनिधियों से जुड़ी एक विशेष अदालत ने बेंगलुरु में बेशकीमती जमीन को गैर-अधिसूचित करने के 15 साल पुराने एक मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) के खिलाफ जांच बंद करने की अनुमति मांगने वाली लोकायुक्त पुलिस की ‘बी-रिपोर्ट’ शनिवार को खारिज कर दी.
जज श्रीधर गोपालकृष्ण भट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 173 (2) के तहत सौंपी गई ‘बी रिपोर्ट’ खारिज की जाती है. CrPC की धारा 156 (3) के तहत, कर्नाटक लोकायुक्त की पुलिस शाखा, बेंगलुरु से संबद्ध पुलिस उपाधीक्षक को इस आदेश में की गई टिप्पणी के आलोक में तेजी से मामले की आगे जांच करने और अंतिम/अतिरिक्त अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है.’’
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अदालत ने जांच अधिकारी को जांच में देरी के सिलसिले में कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से गई टिप्पणी को भी ध्यान में रखने के बारे याद दिलाया.
यह मामला बेल्लंदूर और दीवारबीसनहल्ली में बेशकीमती जमीन को गैर-अधिसूचित करने से जुड़ा है, इस भूमि का संबंध वार्थुर-व्हाईटफील्ड आईटी कॉरिडोर से था. यह भूमि 2000-01 में आईटी पार्क के लिए अधिग्रहित की गई थी.
हालांकि, 2006-07 में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा ने इस जमीन को गैर-अधिसूचित कर दिया. वासुदेव रेड्डी नामक एक व्यक्ति की ओर से लोकायुक्त अदालत में दायर की गई शिकायत में भूमि को गैर-अधिसूचित करने में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया था.
इसके बाद, लोकायुक्त अदालत ने लोकायुक्त पुलिस को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था. फिर, भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत 21 फरवरी, 2015 को एक मामला दर्ज किया गया था.
दिसंबर, 2020 में येदियुरप्पा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके इस मामले को खारिज करने की मांग की थी. येदियुरप्पा ने दलील दी थी कि हाई कोर्ट ने नौ अक्टूबर, 2015 को तत्कालीन उद्योग मंत्री और कांग्रेस नेता आरवी देशपांडे के खिलाफ इसी तरह की प्राथमिकी खारिज कर दी थी, इसलिए उसके आधार पर उनके खिलाफ भी जांच अवैध है, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी दलील खारिज कर दी और पुलिस को जांच तेज करने का निर्देश दिया.
लोकायुक्त पुलिस ने विशेष अदालत में ‘बी रिपोर्ट’ दाखिल कर जांच बंद करने की अनुमति मांगी थी, जिसे रेड्डी ने चुनौती दी थी.
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