दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में प्रदूषण (Pollution) के बढ़ते स्तर पर सुनवाई जारी है. 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार से प्रदूषण के खिलाफ उठाए गए कदमो का ब्योरा मांगा.
ये ब्योरा कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने प्रदूषण नियंत्रण (Pollution Control) के लिए जो निर्देश जारी किए हैं, उसके अनुसार मांगा गया है.
सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य पर मांगा जवाब
इसके साथ ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना, जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकान्त की पीठ ने केंद्र सरकार से सेंट्रल विस्टा समेत तमाम निर्माण कार्यो से संबंधित मुद्दों पर जवाब देने को कहा.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि बड़े प्रोजेक्ट्स जिनमें सेंट्रल विस्टा भी शामिल है उनका निर्माण तेजी से चल रहा है और ऐसे प्रोजेक्ट लोगों की जान से बढ़कर नहीं हो सकते हैं.
सॉलिसिटर जनरल से सेंट्रल विस्टा निर्माण कार्य पर सवाल करते हुए पीठ ने कहा, "विकास सिंह ने दिल्ली में निर्माण कार्यो से सम्बंधित कुछ मुद्दे उठाए हैं हम सॉलिसिटर जनरल को ये निर्देश देते हैं कि एक शपथ पत्र जमा करें या केंद्र सरकार के अंडर में आने वाले निर्माण कार्यों की जानकारी दें.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकारों से अपने 24 नवंबर के उस निर्देश का भी पालन करने का आर्डर दिया जिसमें उसने उन श्रमिकों को वेलफेयर फंड से भुगतान करने को कहा था, जिनका निर्माण कार्य बंद होने की वजह से काम बंद है. कोर्ट ने कहा कमीशन के इरादे अच्छे हैं और निर्देश भी जारी किए गए हैं, लेकिन नतीजा शून्य है.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स को बेहतर करने के लिए कुछ एडवांस कदम उठाने होंगे. कोर्ट ने कहा दिल्ली की हवा जब बेहद खराब कैटेगरी में होती है तभी सरकारे होश में आती हैं.
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