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बेरोजगारी: ‘तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों की पिटाई’,इस चर्चा की नौबत ही क्यों आई?

Tamil Nadu Bihar Migrant workers: 2011 की जनगणना के हिसाब से देश के 14 प्रतिशत माइग्रेंट बिहार से ताल्लुक रखते हैं.

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तमिलनाडु (Tamilnadu) में कथित तौर पर बिहारी मजदूरों (Bihar Migrant workers) से मारपीट की खबर के बाद पटना से लेकर चेन्नई तक सियासत गर्म है. एक तरफ बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है. वहीं दूसरी तरफ सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम चेन्नई भेजी है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (M. K. Stalin) ने बिहारियों की सुरक्षा की बात कही है. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच पलायन का जख्म फिर हरा हो गया है. सवाल है कि आखिर क्यों बिहारियों को बाहर जाना पड़ता है? पलायन की असल वजह क्या है? सरकार की नाकामी या फिर कुछ और?

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बिहारियों से मारपीट का सच क्या है?

तमिलनाडु में बिहारियों से मारपीट को लेकर दैनिक भास्कर ने 4 मार्च को खबर छापी थी. हेडलाइन थी- तमिलनाडु से भागे 50 लोग घर पहुंचे, फूटा दर्द- हम भागे नहीं, भगाए गए हैं. बीजेपी ने इस खबर को ट्वीट किया था. हालांकि, इससे पहले दो मार्च को ही तमिलनाडु के डीजीपी ने मारपीट की खबरों का खंडन किया था.

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया था, "भ्रम, झूठ, नफरत, हिंसा और अफवाह फैलाना ही भाजपाइयों का मुख्य धंधा और पूंजी है. किसी भी देशहितैषी व्यक्ति को समाज में द्वैष और भ्रम नहीं फैलाना चाहिए."

क्या कहते हैं आंकड़े?

बहरहाल, तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों से मारपीट की बात सही है या फिर अफवाह ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा. लेकिन सवाल है कि आखिर बिहारियों को अपना घर क्यों छोड़ना पड़ रहा है?

जर्नल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1951 से लेकर 1961 तक बिहार की करीब 4 फीसदी आबादी ने दूसरे राज्य में पलायन किया था. 1971 के बीच 2 प्रतिशत आबादी का पलायन हुआ. वहीं, 2011 की जनगणना के मुताबिक, 2001 से 2011 के बीच करीब 93 लाख लोग बिहार छोड़कर दूसरे राज्य चले गए.

2011 की जनगणना के हिसाब से देश के 14 प्रतिशत माइग्रेंट बिहार से ताल्लुक रखते हैं. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन स्टडीज के 2020 में किए गए एक शोध के मुताबिक बिहार की आधी जनसंख्या का पलायन से सीधा रिश्ता है.

पयालन की असल वजह क्या है?

2011 जनगणना के आधार पर जर्नल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की रिपोर्ट से पता चलता है कि बिहार के 55% लोग रोजगार के लिए, 3% व्यापार के लिए, 3% पढ़ाई के लिए अपना घर छोड़ देते हैं. वहीं शादी की वजह से 1%, जन्म के बाद 3%, पूरे परिवार के साथ 20% लोग और अन्य कारणों से 15% लोगों ने पलायन किया है.

Tamil Nadu Bihar Migrant workers: 2011 की जनगणना के हिसाब से देश के 14 प्रतिशत माइग्रेंट बिहार से ताल्लुक रखते हैं.

बिहार में बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है. Centre for Monitoring Indian Economy की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2023 में देश में बेरोजगारी दर 7.45 फीसदी रहा. जबकि, बिहार में बेरोजगारी दर इससे ज्यादा 12.3 फीसदी था.

रोजगार के नाम पर प्रदेश में खूब राजनीति होती है. तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि उनकी सरकार बनी तो वह बिहार में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देंगे. तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ एनडीए में थे और उन्होंने तेजस्वी के इस वादे का मखौल उड़ाया था.

हालांकि, अब तेजस्वी नीतीश के साथ हैं और प्रदेश में महागठबंधन की सरकार है. इस साल के बजट में सरकार ने 10 लाख रोजगार देने का ऐलान किया है. 10 लाख सरकारी नौकरी से सरकार 10 लाख रोजगार पर आ गई है. देखना होगा कि बजट का ये ऐलान कब और कैसे पूरा होता है.
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बिहार देश का सबसे गरीब राज्य

नीति आयोग की 2021 बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है. बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है. यहां के लोग व्यापार, शिक्षा और अच्छी जिंदगी की तलाश में भी घर छोड़ रहे हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार में साक्षरता दर 61.80% है, जो कि देश में सबसे कम है. स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स 2019 में 20 बड़े राज्यों में बिहार 19वें नंबर पर है. नीति आयोग के राज्य स्वास्थ्य सूचकांक में 19 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 18वें पायदान पर है. ये सारे कारण हैं जिनकी वजह से लोग पलायन को मजबूर हैं.

2011 जनगणना के आधार पर जर्नल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में सबसे ज्यादा 19.34% बिहारी प्रवासी हैं. इसके बाद झारखंड में 14.12%, पश्चिम बंगाल में 13.65%, महाराष्ट्र में 10.55, उत्तर प्रदेश में 10.24, हरियाणा में 7.06, पंजाब में 6.89, गुजरात में 4.79 और अन्य राज्य- 13.35% बिहारी प्रवासी हैं.

Tamil Nadu Bihar Migrant workers: 2011 की जनगणना के हिसाब से देश के 14 प्रतिशत माइग्रेंट बिहार से ताल्लुक रखते हैं.

महाराष्ट्र से असम तक बिहारियों से बदसलूकी और मारपीट के मामले सामने आते रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में बिहारी मजदूरों की हत्या भी सुर्खियों में रहती है. लेकिन इन सबके बावजूद सरकार के पास कोई स्थायी समाधान नहीं है. जो बीजेपी अभी पलायन के मुद्दे को हवा देने में जुटी है वही बीजेपी पहले सरकार में थी. नीतीश कुमार अभी भी सरकार में हैं. वहीं तेजस्वी के हाथों में भी पावर है. ऐसे में बड़े-बड़े बयानों और वादों की जगह फुलप्रूफ एक्शन की जरूरत है, जिससे बिहार और बिहारियों का भला हो सके.

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