उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों को अपनी प्राइवेट एंबुलेंस में ऑक्सीजन देने वाले शख्स के खिलाफ प्रशासन ने मामला दर्ज किया है. जौनपुर जिला प्रशासन का आरोप है कि शख्स ने राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ “गलत और अपमानजनक” टिप्पणी की.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल स्टाफ की शिकायत के बाद एंबुलेंस ड्राइवर विकी अग्रिहरि के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
ये एफआईआर एपिडेमिक डिजीज एक्ट, आईपीसी की धारा 188 और 269 के तहत दर्ज की गई है.
SHO तारावति यादव ने कहा कि विकी पर जिला अस्पताल के बाहर मरीजों को गलत तरीके से ऑक्सीजन देने का आरोप है. मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
अस्पताल का आरोप
अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि आरोपी जानबूझकर मरीजों को जिला प्रशासन में भर्ती नहीं कराता था और झूठे दावे करता था कि अस्पताल में ऑक्सीजन और बेड नहीं है. अस्पताल का ये भी आरोप है कि विकी मरीजों को ऑक्सीजन देते समय कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं करता था.
अस्पताल के चीफ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट ने कहा कि विकी ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ टिप्पणी की थी और अपने फोन पर वीडियो बनाया था, जिसके लिए कार्रवाई की गई है. वहीं, विकी ने फोन पर वीडियो बनाने की बात से इनकार किया है.
एंबुलेंस ड्राइवर की सफाई
विकी अग्रिहरि ने कहा कि 27 अप्रैल की सुबह वो एक मरीज की हालत बिगड़ने पर सरकारी अस्पताल लाया था. विकी ने कहा कि मरीज को अस्पताल बिल्डिंग में किनारे लिटाने के बाद, वो एंबुलेंस से एक ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर आया और मरीज को ऑक्सीजन दिया. विकी ने कहा कि इसके बाद कई लोगों ने आ कर उससे ऑक्सीजन अरेंज करने को कहा.
रिपोर्ट के मुताबिक, विकी ने दावा कि है कि उसने 7 सालों तक एक प्राइवेट अस्पताल में कंपाउंडर का काम किया है.
विकी ने आरोप लगाया कि अस्पताल के एक स्टाफ ने उससे ऑक्सीजन सिलेंडर मांगा था. "जब मैंने मना कर दिया, तो उन्होंने मेरे खिलाफ केस कर दिया."
जौनपुर जिला मजिस्ट्रेट मनीष कुमार वर्मा ने कहा है कि मामले की जांच जारी है और किसी के भी दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
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