उत्तर प्रदेश में अपहरण की बढ़ती घटनाओं के बीच पुलिस महानिदेशक मुख्यालय की तरफ से जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए दिशा-निर्देश जारी हुए हैं. डीजीपी ने कहा है कि अगर शिकायतकर्ता का स्पष्ट आरोप है कि अपहृत-अपहृता को किसी अपराध के उद्देश्य से अगवा किया गया है तो तत्काल उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. वरिष्ठ अधिकारी ऐसे प्रकरणों में अपहृत की सकुशल बरामदगी तक लगातार समीक्षा करेंगे और ऐसे मामलों में किसी भी स्तर पर शिथिलता बर्दाश्त नहीं होगी.
दिशा निर्देश में कहा गया है कि अपहरण की घटना होने के 24 घंटे के अंदर अपहृत की फोटो तमाम जिलों के साथ दूसरे राज्यों में भेजकर उसकी जानकारी हासिल की जाए. साथ ही अगर जरूरत पड़े तो एसटीएफ को लगाकर अपहृत की बरामदगी सुनिश्चित की जाए.
उन्होंने सभी एडीजी जोन और बाकी अधिकारियों से कहा है कि अपहरण की किसी घटना की सूचना मिलने पर थाना प्रभारी, क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण करेंगे.
फिरौती के लिए अपहरण के मामले में अविलंब संबंधित धारा में एफआईआर दर्ज करने और कार्रवाई की रूपरेखा तय करने के भी निर्देश दिए गए. अगवा किए गए व्यक्ति की सकुशल बरामदगी के लिए एसओ, सीओ और एएसपी कार्ययोजना बनाएंगे और एसपी के समन्वय से टीमों का गठन कर कार्य आवंटित किया जाए.
डीजीपी ने ऐसी घटनाओं में तत्काल सर्विलांस सेल को सक्रिय करने के साथ ही जरूरत पडने पर एसटीएफ की मदद के लिए उच्च अधिकारियों से संपर्क करने का निर्देश भी दिया है.
अगर प्रकरण में किसी आपराधिक गिरोह के शामिल होने का संदेह है तो एक से अधिक टीमें बनाकर और तत्परता से कार्रवाई की जाए. नामित अभियुक्तों से पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग किए जाने के साथ ही उनके विरुद्ध अन्य वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. जरूरत पड़ने पर जिला स्तर पर ऐसे मामलों में प्रभारी एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, महिला चाइल्ड हेल्पलाइन और गैर सरकारी संगठनों की सहायता ली जाए.
गौरतलब है कि कानपुर नगर, कानपुर देहात, गाजियाबाद, गोंडा और दूसरे जिलों में एक के बाद एक अपहरण की घटनाओं ने पुलिस के लिए चुनौती बढ़ा दी है. इसे लेकर विपक्ष भी लगातार हमलावर है. पिछले कुछ दिनों में कानपुर में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव और धर्मकांटा मैनेजर ब्रजेश पाल की अपहरण के बाद फिरौती के लिए हत्या कर दी गई. इसके अलावा गोरखपुर में भी एक छात्र की एक करोड़ की फिरौती के लिए उसकी हत्या कर दी गई. इन तीनों ही मामलों में पुलिस की जमकर किरकिरी हुई. इससे निपटने के लिए डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने अपहरण के मामलों में विशेष सतर्कता बरतने के साथ ही कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश दिए हैं.
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