उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बिजली कर्मियों की हड़ताल जारी है. सरकार के निर्देश के बावजूद बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं. कर्मचारी नेताओं ने यूपी सरकार को 3 दिसंबर 2022, को हुए समझौते का पालन न करने की याद दिलाई है जबकि सरकार ने कर्मचारियों को तत्काल काम पर लौटने का आदेश दिया है. साथ ही, कई बिजली कर्मियों पर कार्रवाई करते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी है. रिपोर्ट लिखे जाने तक बिजली हड़ताल पर 29 एफआईआर दर्ज किए जा चुके थे जबकि 22 नेताओं के खिलाफ एस्मा और सस्पेंशन की कार्रवाई की गयी. इसके साथ ही अबतक 1332 संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गयी है.
यूपी के ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि अगर आगे हजारों को बर्खास्त करना पड़ा तो करेंगे.
बिजली कर्मियों की कुछ प्रमुख मांगें
3 दिसंबर 2022 को विद्युत कर्मचारी के साथ हुई ऊर्जा मंत्री की बैठक में लिखित समझौते को जल्द लागू किया जाये.
साल 2000 के बाद नियुक्त सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन लागू की जाये.
सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर UPSEB लिमिटेड का गठन किया जाये.
200 केवी एवं उच्च विभव के उप्र में बनने वाले सभी विद्युत उपकेंद्रों एवं लाइनों के निर्माण, परिचालन एवं अनुरक्षण का कार्य उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दिया जाये.
बिजली कर्मियों को मिल रही रियायत की सुविधा पहले की तरह चालू रखी जाए और वर्तमान व्यवस्था के साथ कोई छेड़छाड़ न किया जाये.
नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाये और निविदा/संविदा कर्मचारियों को तेलंगाना, राजस्थान आदि की तरह नियमित किया जाये.
बिजलीकर्मियों के हड़ताल का क्या असर?
बिजली कर्मियों के प्रदर्शन का असर प्रदेश के कई जिलों में देखने को मिल रहा है. बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के चलते बिजली सप्लाई बाधित हो गई है. कई जगहों पर सुबह से बिजली गुल होने से लोग पानी को लेकर परेशान हैं. बुलंदशहर में बिजली और पानी की समस्याओं को लेकर उपभोक्ताओं ने प्रदर्शन किया और सरकार से बिजली सप्लाई ठीक कराने की मांग की.
प्रशासन के सामने क्या चुनौती है?
हालांकि, जिला प्रशासन तमाम जगहों पर सप्लाई को फिर से चालू कराने में जुटी है लेकिन सबसे बड़ी चुनौती फाल्ट वाले फीडरों की जानकारी रखने वाले लाइन मैन ढूढने की है, क्योकि ज्यादातर लाइनमैन स्ट्राइक में शामिल है.
बिजली कर्मियों को हड़ताल पर लौटने का आदेश
सरकार की तरफ से हड़ताल पर गए बिजली कर्मियों को तत्काल काम पर लौटने का निर्देश दिया गया है. हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए यूपी पावर कारपोरेशन ने कई संगठनों के 19 पदाधिकारियों को पत्र भेज कहा है कि प्रदेश में "एस्मा" (ESMA) लागू है. ऐसे में हड़ताल या आंदोलन निषिद्ध है.
वहीं, बिजली कर्मचारियों का तर्क है कि सरकार लिखित समझौते का पालन कराने की जगह पर, लोकतंत्र में शांतिपूर्वक आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है!
"हम हमेशा वार्ता के लिए तैयार"- ऊर्जा मंत्री
यूपी के ऊर्जा मंत्री AK शर्मा ने कहा है कि कुछ लोगो ने क़ानून अपने हाथ में लिया था. ऐसे लोगो को चिह्नित कर के कार्यवाही की जा रही है. कोई कहीं भी हो उनको ढूंढ के निकाला जाएगा. हम हमेशा वार्ता के लिए तैयार है.
"इलाहाबाद की खंडपीठ में बड़ी गंभीरता से हड़ताल को नोटिस किया है. कोर्ट ने कड़ी नाराज़गी जतायी है. कोर्ट द्वारा अवमानना की नोटिस भी दी गई है. हाईकोर्ट ने ऑर्डर दिया कि हड़ताल अनुचित है. उच्च न्यायालय के आदेश को 24 घंटे हो गये है उसके बाद संघर्ष समिति ने उसको भी ध्यान नहीं दिया. हमने हड़ताल ख़त्म करने का निवेदन किया है"
ऊर्जा मंत्री ने आगे कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद भी सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो डाल कर माहौल खराब करने की कोशिश की गई. समिति को छात्रों की परीक्षा का ध्यान नहीं है और न ही लोगो की पीड़ा से कोई मतलब है. उच्च न्यायालय के आदेश का भी इनको मतलब नही. 22 लोगो के ख़िलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. एस्मा के तहत कार्यवाही की जायेगी. जिन 22 लोगो के ख़िलाफ़ मुकदमा हुआ उन को सस्पेंड भी करने का काम शुरू होगा. 24 घंटे में 1332 संविदा कर्मियों को बर्खास्त किया गया. आगे हजारों को अगर बर्खास्त करना पड़ा तो करेंगे."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)