उत्तर प्रदेश में जारी बिजली हड़ताल (Electricity Workers On Strike) के बीच, ऊर्जा मंत्री और संघर्ष समिति के बीच हुई बैठक विफल रही है. ये बैठक तीन घंटे तक ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के आवास पर चली, लेकिन बावजूद इसके कोई नतीजा नहीं निकल सका. ऊर्जा मंत्री ने संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की मांगों को मानने से इंकार कर दिया. उधर, हड़ताल को लेकर संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत 22 पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है.
इसी बीच, यूपी के जल संस्थान कर्मचारियों ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन किया है.
बता दें कि ऊर्जा मंत्री ने काम पर लौटने के लिए कर्मचारियों को शनिवार शाम 6 बजे तक की डेडलाइन दी थी. शाम 6 बजे के बाद ऊर्जा मंत्री और कर्मचारियों की बातचीत हुई, जो बेनतीजा रही.
उधर, हड़ताल को लेकर संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत 22 पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर पर शैलेंद्र दुबे बोले, "एफआईआर का मालूम है. इसपर हम क्या कहेंगे?"
UP के कई शहरों में बिजली कटौती से परेशानी
मथुरा के कैंट बिजलीघर से चलने वाला जवाहर हाट सेकेंड फीडर शनिवार दोपहर से बंद पड़ा है, जिसके चलते अधिकांश शहर अंधेरे में डूबा रहा. इसी प्रकार शहर के अन्य इलाके भी अंधेरे में डूबे हुए हैं. वृंदावन क्षेत्र के बांके बिहारी मंदिर के आसपास का इलाका भी बिजली कर्मचारियों की हड़ताल की मार झेल रहा है.
बुलंदशहर में बिजली और पानी की समस्याओं को लेकर उपभोक्ताओं ने प्रदर्शन किया और सरकार से बिजली सप्लाई ठीक कराने की मांग की. बिजली-पानी की समस्या से परेशान लोगों ने कॉलोनियों में जेनरेटर्स लगवाए हैं.
वहीं, प्रयागराज में कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से लोगों को रोजाना के जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लाइट नहीं आने से लोगों को पानी भी नसीब नहीं हो रहा है, और कई लोग हैंडपंप से पानी भरने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने शिकायत करते हुए कहा कि चौबीस घंटे से पानी नहीं है, जिससे खाना बनाने-नहाने में परेशानी हो रही है.
1300 संविदा कर्मचारियों पर कार्रवाई
ऊर्जा मंत्री एकके शर्मा ने बैठक से पहले शनिवार को बताया था कि 1,300 से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को अब तक बर्खास्त कर दिया गया है.
किन मांगों को लेकर अड़े हैं बिजली कर्मचारी?
3 दिसंबर 2022 को विद्युत कर्मचारी के साथ हुई ऊर्जा मंत्री की बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि लिखित समझौते को जल्द लागू किया जाए. इसके तहत कर्मचारियों ने मांग करते हुए कहा-
साल 2000 के बाद नियुक्त सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन लागू की जाए.
सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर UPSEB लिमिटेड का गठन किया जाये.
200 केवी एवं उच्च विभव के उप्र में बनने वाले सभी विद्युत उपकेंद्रों और लाइनों के निर्माण, परिचालन और अनुरक्षण का कार्य उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दिया जाए.
बिजली कर्मियों को मिल रही रियायत की सुविधा पहले की तरह चालू रखी जाए और वर्तमान व्यवस्था के साथ कोई छेड़छाड़ न किया जाए
नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जाये और निविदा/संविदा कर्मचारियों को तेलंगाना, राजस्थान आदि की तरह नियमित किया जाए.
इन मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश के करीब 1 लाख बिजली कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)